Class 12 Physics Chapter 10 Notes in Hindi तरंग प्रकाशिकी

यहाँ हमने Class 12 Physics Chapter 10 Notes in Hindi दिये है। Class 12 Physics Chapter 10 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Class 12 Physics Chapter 10 Notes in Hindi

न्यूटन का कणिका सिद्धान्त

सर्वप्रथम न्यूटन ने कणिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इनके अनुसार प्रकाश अति सूक्ष्म कणो के रूप में चलता है। इन कणों को कणिकाएँ कहते हैं। जब ये कणिकाएँ आँख की रेटिना पर पड़ती है। तो वस्तुएं दिखाई पड़ती है।

इस सिद्धान्त की सहायता से प्रकाश के ऋजुरेखीय संचरण, परावर्तन, अपवर्तन इत्यादि को ही समझाया जा सकता जबकि व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण को समझाने मे यह सिद्धान्त असफल रहा। 

हाइगेन्स का तरंग – सिद्धान्त

तरंगों के संचरण के लिए हाइगेन्स ने बताया कि हमारे ब्रह्माण्ड में प्रत्येक ओर लगभग भारहीन पदार्थ उपस्थित है। इस पदार्थ को ईथर कहते हैं। ईथर मे तरंगों के संचरण के लिए सारे गुण उपस्थित है। इसलिए हाइगेन्स ने माध्यम के रूप मे ईथर को चुना । हाइगेन्स ने तरंगो का संचरण निम्न परिकल्पनाओ के आधार पर समझाया ।

  • जब कोई तरंग किसी माध्यम में संचरित होती है तो चारो ओर स्थित ईथर के कण कम्पन करने लगते है। कंपन करते हुए ईथर के वे कण जो कंपन की समान कला में होते हैं वे जिस काल्पनिक पृष्ठ पर स्थित होते हैं उसे तरंगाग्र कहते हैं।
  • तरंगाग्र पर स्थित प्रत्येक कण एक नए तरंग स्त्रोत की भाँति व्यवहार करता है जिससे सभी दिशाओं में नयी गोलीय तरंगे निकलती है। इन तरंगो को द्वितीयक तरंगिकाएँ कहते है। ये तरंगिकाएँ मूल तरंग की चाल से आगे बढ़ती है।
  • किसी क्षण सभी द्वितीयक तरंगिकाओ का आवरण अर्थात उन्हें स्पर्श करते हुए खीचा गया पृष्ठ उस क्षण तरंगात की नई स्थिति व्यक्त करता है। हाइगेन्स के अनुसार इसका पीछे वाला भाग अग्रसित होने वाले तरंगात का भाग नहीं है।

अपवर्तनांक एवं तरंगदैर्ध्य मे सम्बन्ध:- तरंगदैर्ध्य ∝1/अपवर्तनांक

दो तरंगों का व्यतिकरण

जब समान आवृत्ति की दो प्रगामी तरंगे एक ही दिशा में चल कर किसी बिन्दु पर अध्यारोपित होती है तो उस बिन्दु पर तरंगो के परिणामी तीव्रता समय के साथ स्थिर हो जाती है तथा अलग-अलग बिन्दुओं पर एकान्तर क्रम मे अधिकतम तथा न्यूनतम होती रहती है। इस घटना को तरंगों का व्यतिकरण कहते हैं |

व्यक्तिकरण दो प्रकार का होता है-

  • संपोषी व्यतिकरण- वे बिन्दु जहाँ पर परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है, वहाँ पर प्राप्त व्यक्तिकरण संपोषी व्यतिकरण कहलाता है।
  • विनाशी व्यतिकरण- ऐसे बिन्दु जहाँ पर परिणामी तीव्रता न्यूनतम होती है, ऐसे बिन्दुओं पर प्राप्त व्यक्तिकरण विनाशी व्यतिकरण कहलाता है।

व्यतिकरण के फलस्वरूप तरंग की परिणामी तीव्रता का निगमन: \(I=I_1+I_2+2\sqrt{I_1I_2}\cos\phi\)

जहा I – परिणामी  तीव्रता है|

यंग के प्रयोग से फ्रिन्ज की चौड़ाई का निर्धारण

दीप्त फ्रिन्ज हेतु:- \(x=m\frac{Dλ}{d} \)

अदीप्त फ्रिन्ज हेतु:- \(x=(m-\frac{1}{2}\frac{Dλ}{d})\)

फ्रिन्ज चौडाई-  किन्ही दो क्रमागत दीप्त अथवा क्रमागत अदीप्त फ्रिन्ज़ो के बीच की दूरी को फ्रिन्ज चौडाई कहते है। इसे W से प्रदर्शित करते है।

दीप्त फ्रिन्ज की चौ० = अदीप्त फ्रिन्ज की चौ० =\(\frac{Dλ}{d}\)

तरंगों का विवर्तन

जब कोई तरंग किसी अत्यन्त सूक्ष्म हिंद्र अथवा तीक्ष्ण किनारे से होकर गुजरती है तो वह अपने मूल पथ से आंशिक रूप से विचलित हो जाती है। इस घटना को तरंगों का विवर्तन कहते हैं।

Note-

  • विवर्तन तरंगो का एक अभिलक्षण है।
  • विवर्तन की घटना में पर्दा प्रयुक्त छिद्र का आकार तरंग की तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिए इसे ग्रेटिंग अन्तराल कहते है।

विवर्तन के प्रकार

विवर्तन दो प्रकार का होता है।

  • फ्रेनल विवर्तन- जब तरंग स्त्रोत एवं पर्दा विवर्तक वस्तु से निश्चित दूरी पर होते हैं तो पर्दे पर प्राप्त विवर्तन को फ्रेनल विवर्तन कहते है। इस विवर्तन का उपयोग गोलीय एवं बेलनाकार तरंगाग्रो के अध्ययन में किया जाता है।
  • फ्रॉन हाफर विवर्तन- जब तरंग स्त्रोत एवं पर्दा विवर्तक वस्तु से आभासी रूप से असीमित दूरी पर स्थित होते है तो पर्दे पर प्राप्त विवर्तन को फ्रॉन हाफर निवर्तन कहते है।

इस विवर्तन की सहायता से समतल तरगांग्र का अध्ययन किया जाता है।

साधारण या अध्रुवित प्रकाश

जब वैद्युत वेक्टर के कम्पन की दिशा प्रकाश संचरण की दिशा के लम्बवत् सभी तलो मे होती है तो ऐसे प्रकाश को साधारण प्रकाश या अध्रुवित प्रकाश कहते हैं।

समतल ध्रुवित प्रकाश

जब वैद्युत वेक्टर के कम्पन प्रकाश संचरण की दिशा के लम्बवत् केवल एक ही तल मे होते है तो ऐसे प्रकाश को समतल ध्रुवित प्रकाश कहते हैं।

पोलरॉइड (Polaroid)

पोलरॉइड एक समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त करने , की सबसे सरल, सस्ती एवं व्यापारिक विधि है। इसे बनाने के लिए काँच की दो समान प्लेट लेते है, जिसमे एक प्लेट के ऊपर है नाइट्रोसेलुलोज की पतली परत बिछाकर उसके ऊपर हरपैथाइड अथवा आयडो सल्फेट आफ क्यूनाइन के क्रिस्टल इस प्रकार से बिछाते है कि उनकी प्रकाशिक अक्षे परस्पर समान्तर रहे। अब दूसरी प्लेट से पहली प्लेट को बंद कर देते हैं।

Class 12 Physics Chapter 10 Notes in Hindi

पोलेराइड के उपयोग –

  • पोलेराइड का उपयोग मुख्यतः प्रकाश की चका-चौंध से बचने के लिए किया जाता है।
  • पोलेराइडो का उपयोग धूप के चश्मो तथा खिड़की के काँच आदि मे तीव्रता को नियंत्रित करने में किया जाता है।
  • पोलेराइडो का प्रयोग फोटोग्राफिक कैमरो तथा 3D चलचित्र चश्मो मे किया जाता है।
  • पोलेराइडो का उपयोग कार की हेडलाइट में किया जाता है।

मैलस का नियम

जब साधारण प्रकाश किसी पोलेराइड द्वारा गुजरता है तो निर्गत प्रकाश समतल ध्रुवित हो जाता है एवं निर्गत प्रकाश की तीव्रता (I), प्रकाशिक अक्ष तथा वैद्युत वेक्टर के बीच कोण (θ) की कोज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है।

Chapter 1 – वैद्धुत आवेश तथा क्षेत्र
Chapter 2 – स्थिर विद्युतविभव एवं धारिता
Chapter 3 – विद्युत धारा
Chapter 4 – गतिमान आवेश और चुंबकत्व
Chapter 5 – चुंबकत्व एवं द्रव्य
Chapter 6 – वैधुतचुम्बकीय प्रेरण

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