Physics Class 12 Chapter 5 Notes in Hindi
छड़ चुम्बक
छड़ चुम्बक किसी वस्तु की एक आयताकार टुकड़ा होता है, जो लोहे, स्टील या किसी अन्य फेरोमैग्नेटिक पदार्थ या फेरोमैग्नेटिक कम्पोजिट का बना होता है, जो स्थायी चुंबकीय गुण को दिखाता है। इसके दो ध्रुव होते हैं, एक उत्तरी और एक दक्षिणी ध्रुव।
छड़ मैग्नेट दो प्रकार के होते हैं :-
1. बेलनाकार दंड चुंबक
2. आयताकार बार चुंबक
चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाएं
चंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं वैसे संतत, काल्पनिक बंद वक्र हैं जो चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलकर उसके दक्षिणी ध्रुव तक जाते हैं और फिर दक्षिणी ध्रुव से चुंबक के भीतर से ही उतरी ध्रुव तक आते हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण :-
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र होती हैं |
- दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक दुसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं ।
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव की ओर समाहित हो जाती है |
- चुम्बक के अंदर, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है |

छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिणालिका की तरह व्यवहार

एक छड़ चुंबक तथा धारावाही परिनालिका द्वारा उत्पन्न स्थायी, चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र रेखाओं की प्रकृति एक जैसी होती है।

एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में द्विध्रुव
एक चुंबकीय द्विध्रुवीय अक्सर परमाणु या उप-परमाणु आयामों वाला एक छोटा सा चुंबक होता है, जो पाश के चारों ओर विद्युत आवेश प्रवाह के समान होता है। सकारात्मक रूप से आवेशित परमाणु नाभिक का घूमना, अपनी धुरी पर घूमने वाले इलेक्ट्रॉन और परमाणु नाभिक के चारों ओर घूमने वाले इलेक्ट्रॉन ये सभी चुंबकीय द्विध्रुव हैं।
Τ = m × B
- ये प्रभाव एक दूसरे को रद्द कर सकते हैं, जिससे परमाणु का एक निश्चित रूप होता है जो चुंबकीय द्विध्रुव नहीं है।
- परमाणु एक चिरस्थायी चुंबकीय द्विध्रुवीय है यदि वे पूरी तरह से रद्द नहीं होते हैं।
- एक चुंबकीय द्विध्रुव का निर्माण तब होता है जब लाखों लोहे के परमाणु अनायास एक ही व्यवस्था में बंद हो जाते हैं, जिससे फेरोमैग्नेटिक डोमेन बन जाता है।
- मैक्रोस्कोपिक मैग्नेटिक डिप्लोल्स में चुंबकीय कंपास सुई और बार जैसी चीजें शामिल हैं।
स्थितवैधूत अनुरूप
धातुओं के बाहर कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनो को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते है जो धातु के अंदर गति करने के लिए स्वतंत्र होते है लेकिन धातु से मुक्त नहीं हो सकते है। इसी के अध्ययन को चालक स्थिर विधुत कहते है ।
चुम्बकत्व एवं गाउस नियम
चुम्बक में दो ध्रुव पाए जाते है, इन दोनों ध्रुवों को अलग नहीं किया जा सकता है तथा धारावाही लूप या चुम्बकीय द्विध्रुव को चुम्बकत्व का सबसे छोटा रूप माना जाता है यही कारण है की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं सतत तथा बंद वक्र के रूप में होती है।
यदि एक बंद लूप है जिसका क्षेत्रफल S है , इसमें हम देख सकते है की बंद पृष्ठ (S) से बाहर निकलने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या , बंद पृष्ठ(S) में प्रवेश करने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या के बराबर होगी। पृष्ठ में जितनी बल रेखाएं प्रवेश करती है उतनी बल रेखाएं बाहर निकलती है।
- प्रवेश करने वाली बल रेखाओ को धनात्मक चिह्न के साथ लिखे तथा बाहर निकलने वाली बल रेखाओ को ऋणात्मक चिह्न के साथ लिखे
- प्रवेश करने वाली बल रेखायें = बाहर निकलने वाली बल रेखायें
- प्रवेश करने वाली बल रेखायें – बाहर निकलने वाली बल रेखायें = 0
इस प्रकार हम कह सकते है की नेट क्षेत्र रेखाओं की संख्या शून्य होगी इसे चुम्बकत्व के सम्बन्ध में गाउस का नियम कहते है।

भू– चुम्बक्त्व
चुम्बकत्व वह प्रक्रिया है, जिसमें एक वस्तु दूसरी वस्तु पर आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल लगाती है। सभी वस्तुएँ न्यूनाधिक मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति से प्रभावित होती हैं। पृथ्वी भी चुम्बकीय क्षेत्र प्रदर्शित करती है, इसे ‘भू-चुम्बकत्व’ कहते हैं।

चुंबकीय दिकपात एवं नति
- दिक्पात का कोण:- किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर के बीच बने कोण को दिक्पात का कोण कहते हैं।
- किसी स्थान पर अपने गुरुत्व केंद्र से स्वतंत्र रूप से लटकी चुंबकीय सुई की अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुंबकीय याम्योत्तर कहा जाता है।
- किसी स्थान पर पृथ्वी के भौगोलिक उत्तर तथा दक्षिण ध्रुवों को मिलाने वाली रेखाओं में से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को भौगोलिक याम्योत्तर कहते हैं।
नति कोण :- पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा तथा क्षैतिज दिशा के बीच बने कोण को नति कोण कहते हैं।
पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुवों पर नति कोण का मान 90° होता है। तथा निरक्ष पर इसका मान शून्य हो जाता है।
चुंबकीकरण एवं चुम्बकीय तीव्रता
जब किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह पदार्थ चुम्बकित होने लगता है।
जब एक चुम्बकीय पदार्थ को चुंबकीय क्षेत्र में रखते हैं तथा प्रतिएकांक आयातन में उत्पन्न चुंबकीय आघूर्ण को चुम्बकीय तीव्रता कहते हैं।
यदि चुम्बकीय आघूर्ण M है तथा पदार्थ का आयतन V है
चुम्बकन की तीव्रता (I) = चुम्बकीय आघूर्ण/आयतन
I = M/V
इसका si मात्रक A/m होता है तथा विमा [M0L-1T0A1] होती है , यह एक सदिश राशि है।
पदार्थो का चुम्बकीय गुण
- किसी पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति एकांक चुंबकीय तीव्रता के कारण उस पदार्थ में उत्पन्न चुंबकन के बराबर होती है।
- चुंबकीय प्रवृत्ति विमाहीन आदि से राशि है।
- निर्वात की चुंबकीय प्रवृत्ति शून्य होती है।
प्रतिचुम्बकीय
वैसे पदार्थ प्रतिचुम्बकीय होते हैं, जिन्हें बाहा चुंबकीय क्षेत्र में अधिक प्रबलता वाले भाग से कम प्रबलता वाले भाग की ओर जाने की प्रवृत्ति होती है।
अनुचुम्बकीय
वैसे पदार्थ अनुचुम्बकीय होते हैं जो चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर हल्का चुंबकत्व तो प्राप्त कर लेते हैं तथा उन्हें छीन चुंबकीय क्षेत्र से प्रबल क्षेत्र की ओर जाने की प्रवृति होती है।
लौहचुम्बकीय
वैसे पदार्थ जिनकी चुंबकीय प्रवृत्ति तो धनात्मक होती है, लेकिन अनुचुंबकीय पदार्थों की तुलना में इनका मान बहुत अधिक होता है। चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर इनमें चुंबक का गुण सहज ही आ जाता है और वे शक्तिशाली चुंबक बन जाते हैं, जैसे लोहा, कोबाल्ट, निकेल आदि।
स्थाई चुंबक एवं विद्युत चुंबक
स्थायी चुंबक:- स्थायी चुंबक बनाने के लिए पदार्थ की धारणशीलता उच्च होनी चाहिए ताकि चुंबक शक्तिशाली हो। इसके अतिरिक्त पदार्थ की निग्राहिता भी उच्च होनी चाहिए जिससे कि चुंबक का चुंबकत्व बाहा अवांछित चुंबकीय क्षेत्रों अथवा यांत्रिक विक्षोभों अथवा ताप परिवर्तनों के प्रभाव से कम न हो पाए। इस्पात नरम लोहे की अपेक्षा स्थायी चुंबक बनाने के लिए अधिक उपयुक्त है।
स्थायी चुंबक के प्रकार
1.सिरेमिक चुंबक
2.लचीले चुंबक
3.NdFeB (नियोडिमियम आयरन बोरॉन चुंबक)
4.समैरियम कोबाल्ट (SmCo) से बना चुंबक
विद्युत चुंबक :- विद्युत चुम्बकों की क्रोड के लिए वह पदार्थ उपयुक्त होगा जिसमें संधारण चुंबकन क्षेत्रों द्वारा अधिक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो तथा शौथिल्य हानि कम से कम हो। नरम लोहा विद्युत चुंबक बनाने के लिए अधिक उपयुक्त है।
इससे भी पढे –
Physics Class 12 Chapter 4 Notes in Hindi
Physics Class 12 Chapter 2 Notes in Hindi
विद्युत चुम्बकों के प्रकार
- प्रतिरोधी विद्युत चुम्बक
- हाइब्रिड इलेक्ट्रोमैग्नेट
- सुपरकंडक्टर मैग्नेट
Tagged with: chapter 5 physics class 12 notes in hindi | class 12 physics chapter 5 notes in hindi | Physics Class 12 Chapter 5 Notes in Hindi | Physics Class 12 Chapter 5 Notes in Hindi चुंबकत्व एवं द्रव्य