यहाँ हमने Class 12 Physics Chapter 12 Notes in Hindi दिये है। Class 12 Physics Chapter 12 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।
Class 12 Physics Chapter 12 Notes in Hindi
परमाणु (Atom)
परमाणु (ATOM) : परमाणु की संरचना के बारे में अलग – अलग वैज्ञानिकों ने अलग मॉडल प्रस्तुत किए हैं, जो निम्न है –
थामसन का परमाणु मॉडल
थामसन के इस माडल को “प्लम पुडिंग ” माडल भी कहा जाता है| इस मॉडल के अनुसार –
- परमाणु 10-10 m (1A.) त्रिज्या का धनावेशित ठोस गोला होता है।
- गोले के अन्दर e- जगह-जगह उसी प्रकार वितरित होते है, जैसे तरबूज मे बीज ।
- e- का कुल ऋणावेश, परमाणु के समस्त धन आवेश के बराबर होता है ताकि परमाणु विद्युत उदासीन रहे।
उपयोग – इस मॉडल की सहायता से तापायनिक उत्सर्जन – आयनीकरण की सफलतापूर्वक व्याख्या की जा सके।
दोष – इस मॉडल की सहायता से परमाणु के स्पेक्ट्रम की सही व्याख्या नहीं की जा सकती ।
रदरफोर्ड का ऐल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग
परमाणु की संरचना जानने के लिए लार्ड रदरफोर्ड ने 1911 ई० मे एक प्रयोग किया। इस प्रयोग में पोलोनियम नामक एक रेडियोऐक्टिव तत्व से उच्च गतिज ऊर्जा से निकलने वाली α किरणों के बारीक किरण – पूँज को एक बहुत ही पतले स्वर्ण पत्र से टकराया। जिसके आधार पर रदरफोर्ड ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त किए –
- अधिकांश α – कण स्वर्ण पत्र के आर-पार बिना प्रभावित हुए सीधे निकल जाते है। इससे पता चलता है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला होता है।
- कुछ α – कण 90 अथवा अधिककोण पर प्रकीर्णित होते हैं इससे पता चलता है, कि परमाणु का केन्द्रक धनावेशित है तभी α कणों को प्रतिकर्षित करता है।
- 20 हजार α – कणों में से लगभग α – कण अपने ही मार्ग पर वापस लौट आता है। इससे पता चलता है, कि परमाणु का अधिकांश द्रव्यमान उसके केन्द्र में होता है, जिसे नाभिक कहते हैं।
- प्रति एकांक समय में प्रकीर्णित α-कणो की संख्या (N)अर्ड प्रकीर्णन कोण की ज्या के चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
नील् बोहर का परमाणु मॉडल
सन् 1913 ई. में प्रोफेसर नील्स बोहर ने एक परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया जो प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त पर आधारित था । अपने इस मॉडल के लिए बोहर ने निम्नलिखित तीन नये अभिग्रहीत प्रस्तुत किए –
- प्रत्येक इलेक्ट्रान नाभिक के चारों ओर कुछ विशेष कक्षाओ मे ही परिक्रमा करते हैं जिन्हें स्थायी कक्षाये कहते हैं। प्रत्येक स्थायी कक्षा के इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग h/2π ना या का पूर्ण गुणज होता है।
- इलेक्ट्रान को अपनी स्थायी कक्षा में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल इलेक्ट्रान तथा नाभिक के बीच आरोपित होने वाले स्थिर वैद्युत बल से प्राप्त होता है।
- जब परमाणु का कोई इलेक्ट्रान किसी निम्न ऊर्जा स्तर से किसी उच्च ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है तो वह दोनो ऊर्जा स्तरो के अन्तर के बराबर ऊर्जा का अवशोषण करता है यदि उच्च से निम्न स्तर में आता है तो वह उतनी ही ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
बोहर की स्थाई कक्षाओं की त्रिज्या एवं स्थायी कक्षाओं में इलेक्ट्रान का वेग
(i) बोहर की स्थायी कक्षाओं की त्रिज्या :
इलेक्ट्रॉन को स्थायी कक्षा में परिक्रमा करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल नाभिक और e- के बीच आरोपित स्थिर वैद्युत बल से प्राप्त होता है।
बोहर की साई कक्षाओं की त्रिज्या ज्ञात करने में इस सूत्र का उपयोग कर सकते है।
(ii) स्थाई कक्षाओं में इलेक्ट्रान का वेग
बोहर की स्थाई कक्षाओं में e- का वेग मुख्य क्वाष्टम संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
उत्तेजन विभव (Excitation Potential)
वह न्यूनतम त्वरक विभव जिस पर कोई इलेक्ट्रॉन किसी परमाणु से टकराकर उसे उत्तेजित कर देता है ऐसे त्वरक विभव को उत्तेजन विभव कहते है।
उदाहरण : H – परमाणु का पहला, दूसरा और तीसरा उत्तेजन विभव क्रमशः 10.20V, 12.090 तथा 12.75L होता है।
आयनन विभव (Ionisation Potential)
वह न्यूनतम त्वरक विभव जिस पर कोई e- टकराकर उसे आयनित कर सके ऐसे न्यूनतम त्वरक विभव को आयनन विभव कहते हैं।
यह H- परमाणु के लिए 13.60 तथा चारे के लिए 10.4V होता है।
विविक्त ऊर्जा स्तर
वे ऊर्जा स्तर जिनकी ऊर्जाये सुनिश्चित होती है, उन्हें विविक्त ऊर्जा स्तर कहते हैं।
माना कोई परमाणु उत्तेजित अवस्था में है तो उसके भवे ऊर्जा स्तर में c की ऊर्जा –
संक्रमण (Transition)
किसी परमाणु का एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में प्रवेश करना संक्रमण कहलाता है।
संक्रमण दो प्रकार का होता है –
1 उत्सर्जन संक्रमण –
जब कोई परमाणु उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में प्रवेश करता है, तो इसे उत्सर्जन संक्रमण कहते हैं।
उत्सर्जन संक्रमणों की संख्या = n(n-1)/2
2 अवशोषण संक्रमण –
जब कोई परमाणु मूल ऊर्जा स्तर से किसी उच्च स्तर में प्रवेश करता है ,तो इसे अवशोषण संक्रमण कहते हैं|
[ अवशोषण संक्रमण की सांख्य = (n-1) ]
उत्सर्जन तथा अवशोषण संक्रमणों मे तरंगदैर्ध्य का निर्धारण
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम (Hydrogen spectrum)
हाइड्रोजन का उत्सर्जन स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन की गर्म वाष्प को कांच के एक पात्र में रखा जाता है तथा उससे उत्सर्जित होने वाले समस्त विकिरणों को स्पेक्टोमीटर के छिद्र पर आपतित कराया जाता है जिससे पर्दे की काली पृष्ठ भूमि पर कई चमकीली रेखाएँ प्राप्त होती है। इन रेखाओ को पाँच श्रेणियों मे बाटा गया है|
1. लाइमन श्रेणी– जब किसी परमाणु मे इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से प्रथम (निम्नतम) ऊर्जा स्तर में आता है। ( अर्थात n = 1) तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रम की रेखाएँ परावैगनी भाग मे प्राप्त होती है। इस श्रेणी की रेखाओं की तरंगदैर्ध्य निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त की जा सकती है।
[लाइमन श्रेणी के लिए : 1/ λ= R [ 1/1²- 1/n²], जहाँ n = 2,3,4,…….]
2. बामर श्रेणी– जब परमाणु मे इलेक्ट्रॉन किसी उच्च ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में आता है। (अर्थात m=2) तो उत्सर्जित स्पेक्ट्रम की रेखाएं दृश्य भाग में प्राप्त होती है।
Chapter 1 – वैद्धुत आवेश तथा क्षेत्र
Chapter 2 – स्थिर विद्युतविभव एवं धारिता
Chapter 3 – विद्युत धारा
Chapter 4 – गतिमान आवेश और चुंबकत्व
Chapter 5 – चुंबकत्व एवं द्रव्य
Chapter 6 – वैधुतचुम्बकीय प्रेरण
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