Class 10 Science Chapter 10 Notes in Hindi प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन

यहाँ हमने Class 10 Science Chapter 10 Notes in Hindi दिये है। Class 10 Science Chapter 10 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Class 10 Biology Chapter 10 Notes in Hindi प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन

  • प्रकाश – प्रकाश एक ऊर्जा का रूप होता है जो किसी वस्तु को प्रकाशित या देखने में सहायता करता हैं।
  • प्रकाश को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • प्रकाश की चाल सर्वाधिक निर्वाति में होती है।
    • निर्वाति में चाल – 3×108 m/sec.
      हवा में चाल – 2.25×108 m/sec
      काँच में चाल 2×108 m/sec
  • प्रकाश सूर्य से पृथ्वी तक आने में 8m (मिनट) 20 sec (लगभग) का समय लेता है।
  • प्रकाश चाँद से पृथ्वी तक आने में 3 sec. का समय लेता है।
  • प्रकाश सीधी रेखा (दिशा) में गमन करता है।

प्रकाश के गमन के आधार पर पदार्थों को तीन भागों में बाँटा जाता है।

  • पारदर्शी
  • अपारदर्शी
  • पारभाषी

1. पारदर्शी:- वे पदार्थ जिसमें प्रकाश आर-पार गमन कर सकता है उसे पारदर्शी पदार्थ कहते हैं। e.g. काँच, शुद्ध जल

2. अपारदर्शी:- वह पदार्थ जिसमें प्रकाश गमन नहीं करता है। उसे अपारदर्शी पदार्थ कहते है । e.g. दिवार, मानव शरीर

3. पारभाषी:- वह पदार्थ जिसमें से प्रकाश कुछ मात्रा में गमन करता है उसे पारभाषी पदार्थ कहते है। रगड़ा गया काँच, तेल लगा कागज

प्रकाश की कुछ घटनाएँ

प्रकाश का परावर्तन

जब प्रकाश एक सीधी रेखा में गमन करता है तो उसके मार्ग में आने वाली रुकावटों से वह उसका मार्ग बदल लेती है , उसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

प्रकाश के परावर्तन के फल स्वरूप प्रतिबिंग का निर्माण होता है।

परावर्तन दो प्रकार के होते हैं –

  1. नियमित परावर्तन
  2. अनियमित परावर्तन

नियमित परावर्तन

यह परावर्तन समतल सतह पर होता है इसीलिए यह परावर्तन के नियमों का पालन करता है।

नियमित परावर्तन

अनियमित परावर्तन

यह परावर्तन खुरदरी सतह पर होता है अतः परावर्तन के बाद प्रकाश इधर उधर फैल जाता हैं।

अनियमित परावर्तन

परावर्तन के नियम व उनसे सम्बंधित परिभाषाएँ

परावर्तन के नियम
  1. आपतित किरण:- प्रकाश स्रोत से आने वाली प्रकाश की किरण आपतित किरण कहलाती है।
  2. परावर्तित किरण:- परावर्तन के पश्चात् जाने वाली प्रकाश किरण को परावर्तित किरण कहते है।
  3. आपतन कोण ∠i:- आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को आपतन कोण कहते हैं। इसे ∠i द्वारा दर्शाया जाता है ।
  4. अभिलम्ब – परावर्तन पृष्ठ पर लम्बत खड़ी काल्पनिक रेखा अभिलम्ब कहलाती है।
  5. परावर्तन कोण ∠r – परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन कोण कहते है | इसे ∠r द्वारा दर्शाया जाता है।

परावर्तन के नियम

परावर्तन के दो नियम होते हैं।

  1. परावर्तन का प्रथम नियम आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है।
  2. परावर्तन का दुसरा नियम आपतन कोण तथा परावर्तित कोण दोनो हमेशा बराबर रहता है।
    ∠i = ∠r

नोट:- प्रकाश का परावर्तन दर्पण के लिए पढ़ा जाता है।

दर्पण (Mirror)

काँच की बनी हुई एक ऐसी युक्ती जिसके एक तरफ पोलिश की हुई होती है, उसे दर्पण कहते है।

दर्पण दो प्रकार के होते है –

  1. समतल दर्पण
  2. गोलिय दर्पण

1. समतल दर्पण:- ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तन पृष्ठ समतल होती है उसे समतल दर्पण कहते है।

समतल दर्पण
  • समतल दर्पण में हमेशा सीधा और आभाषी प्रतिबिंब बनता है।
  • प्रतिबिंब उतनी ही दूरी पर बनता है , जितनी दूरी पर वस्तु होती है।
  • प्रतिबिंब हमेशा पार्श्व परिवर्तन में होता है अर्थात इस प्रतिबिंब में दाया भाग बाया तथा बाया भाग दाया दीखाई देता है।
  • प्रतिबिंब और वस्तु की गति एक समान होती है।
समतल दर्पण

गोलिय दर्पण

ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तन पृष्ट गोलिय होता है उसे गोलिय दर्पण कहते है।

गोलिय दर्पण भी दो प्रकार के होते है:-

  1. उत्तल दर्पण
  2. अवतल दर्पण

उत्तल दर्पण

  • वह गोलिय दर्पण जिसकी धसी हुई सतह पर पोलिश की जाती है तथा उभरी हुई सतह से परावर्तन होता है , उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।
  • इसमें आभाशी, सिधा तथा छोटा प्रतिबिंब बनता है।
उत्तल दर्पण

अवतल दर्पण

वह गोलिय दर्पण जिसकी उभरी हुई सतह पर पोलिश की जाती है, तथा धसी हुई सतह से परावर्तन होता हैं। उसे अवतल दर्पण कहते है।

इसमें वास्तविक व आभाशी उलटा व सिधा, छोटा-बड़ा तथा समान आकार का प्रतिबिंब बनता हैं।

दर्पण से सम्बंधित परिभाषाएँ

  1. दर्पण का ध्रुव:- दर्पण के परावर्तन पृष्ठ के केन्द्र को दर्पण का ध्रुव कहते है। इसे P द्वारा दर्शाया जाता है।
  2. वक्रता केन्द्र:- गोलिय दर्पण की परावर्तक पृष्ठ गोले का भाग होता है। इस गोले के केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहते है | इसे C द्वारा दर्शाया जाता है |
  3. वक्रता त्रिज्या:- ध्रुव P तथा वक्रता केन्द्र C के बीच की दूरी को वक्रता त्रिज्या कहते है। इसे R द्वारा दर्शाया जाता हैं।
  4. मुख्य अक्ष:- ध्रुव P तथा वक्रता केन्द्र C के बिच बनीं काल्पनिक रेखा को मुख्य अक्ष कहते है।
  5. मुख्य फोकस बिंदु:- ध्रुव P तथा वक्रता केन्द्र C के मध्य (बीच) बिन्दु को फोकस बिन्दु कहते है , इसे F भी कहते हैं।
  6. फोकस दूरी:- ध्रुव P फोकस बिन्दु की बीच की दूरी फोकस दूरी कहलाती है। इसे f द्वारा दर्शाया जाता है।
दर्पण

गोलिय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब निर्माण

  • प्रतिबिंब – दर्पण के समान रखी वस्तु को दर्पण में जो आवृति बनती है , उसे उस वस्तु का प्रतिबिंब कहते है।

प्रतिबिंब दो प्रकार का होता है:-

  1. वास्तविक
  2. आभासी

वास्तविक प्रतिबिंब

ऐसा प्रतिबिंब जिसमें वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात वास्तव में मिलती हुई दिखाई देती है। इसे वास्तविक प्रतिबिंब कहते है।

  • इसे पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है |
  • इसे सिधी प्रकाश रेखा द्वारा दर्शाया जाता है|

आभासी प्रतिबिंब

ऐसा प्रतिबिंब जिसमें वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात वास्तव में नहीं मिलती है। केवल आभास होता है, उसे आभासी प्रतिबिंब कहते है।

  • इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  • इसे डोटेड (….) प्रकाश रेखा द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रतिबिंब निर्माण के नियम

नियम 1: मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरण परावर्तन के पश्चात फोकस बिन्दु F से गुजर जाती है। और यदि फोकस बिन्दु से कोई प्रकाश की किरण आती है, तो परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समान्तर गुजर जायेगी।

नियम 1

नियम 2: वक्रता केन्द्र C से आने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के पश्चात वक्रता केन्द्र C से ही गुजर जाती है।

नियम 2

नियम 3: ध्रुव P पर आकर टकराने वाली प्रकाश किरण जितने कोण से आती, परावर्तन के पश्चात उतने ही कोण से बापश चली जाती है।

नियम 3

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब निर्माण

(1) स्थिति 1

स्थिति 1

वस्तु की स्थिति:- अनन्त पर

  1. प्रतिबिम्ब की स्थिति:- फोकस बिन्दु f पर
  2. प्रतिबिम्ब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  3. प्रतिबिम्ब का आकार:- बिन्दु आकार का

(2) स्थिति 2

(2) स्थिति 2

वस्तु की स्थिति:- c से परे

  1. प्रतिबिंब की स्थिति:- c व F के मध्य
  2. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  3. प्रतिबिंब का आकार -> वस्तु से छोटा

(3) स्थिति 3

स्थिति 3
  1. वस्तु की स्थिति:- c पर
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- c पर
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु के समान

(4) स्थिति 4

स्थिति 4

वस्तु की स्थिति:- c व f के मध्य

  1. प्रतिबिंब की स्थिति:- c से परे
  2. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  3. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से बड़ा

(5) स्थिति 5

स्थिति 5

वस्तु की स्थिति:- f पर

  1. प्रतिबिंब की स्थिति:- अनन्त
  2. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  3. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से बड़ा

(6) स्थिति 6

वस्तु की स्थिति -> f व P के मध्य

स्थिति 6
  • प्रतिबिंब की स्थिति:- दर्पण के पीछे
  • प्रतिबिंब की प्रकृति:- आभासी व सीधा
  • प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से बड़ा

उत्तल दर्पण प्रतिबिंब निर्माण

स्थिति 1

उत्तल दर्पण
  • वस्तु की स्थिति:- अनन्त पर
  • प्रतिबिंब की स्थिति:- F पर
  • प्रतिबिंब की प्रकृति:- आभासी व सीधा
  • प्रतिबिंब का आकार:- बिंदु के आकार का

(2) स्थिति 2

स्थिति 2
  1. वस्तु की स्थिति – अनन्त व P के मध्य
  2. प्रतिबिंब की स्थिति – P व F के मध्य
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति – आभासी व सीधा
  4. प्रतिबिंब का आकार – वस्तु से छोटा

दर्पणों के उपयोग

अवतल दर्पण के उपयोग

  • अवतल दर्पण के उपयोग टॉर्च ,सर्च लाइट तथा वाहनों के अग्र दीप (Head Light) में प्रकाश का शक्तिशाली पूंज प्राप्त करने के लिए।
  • अवतल दर्पण का उपयोग डॉक्ट्रर के द्वारा दांतो का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए किया जाता है।
  • सोर भट्टी में इसका उपयोग प्रकाश को केन्द्रीत करने में किया जाता हैं।

उत्तल दर्पण के उपयोग

  • उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों के पश्च दृश्य देखने में किया जाता है क्योंकि उत्तल दर्पण मे छोटा प्रतिबिंब बनता है , इसीलिए छोटे दर्पण के पीछे का समस्त क्षेत्र दिखाई देता है।

दर्पण सूत्र

\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}= \frac{1}{F}\)

u:- बिंब की दूरी
v:- प्रतिबिंब की दूरी
F:- फोकस दूरी

आवर्धन क्षमता (m)

यदि बिम्ब की ऊँचाई h तथा प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ हो तो प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिम्ब की ऊँचाई का अनूपात आवर्धन क्षमता कहलाता है।

आवर्धन क्षमता (m)

प्रकाश का अपवर्तन

  • जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यम को पृथक करने वाले तल से अपना रास्ता बदल लेती है या विचलीत हो जाती है। इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते है।
  • जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती हैं तो अभिलम्ब की और झुक जाती है, जबकि सघन से विरल माध्यम में जाने पर प्रकाश की किरण अभिलम्ब से दूर घटती है।

अपवर्तन के नियम

  • प्रथम नियम:- आपतित किरण अपवर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते है ।
  • द्वितीय नियम:- आपतन कोण (i) कोण कि ज्या Sin i तथा अपवर्तन कोण (r) की ज्या
  • (Sin r) का अनूपात एक नियतांक राशि होता है। Sin i, sin r नियतांक
  • इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं।

Note:- अपवर्तन की क्रिया लेंस के लिए पढ़ी जाती है |

लेंस

दो पृष्ठों से घिरा हुआ ऐसा पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलिय होते है ,उसे लेंस कहते है।

लेंस दो प्रकार के होते हैं।

  • a. उत्तल लेंस
  • b. अवतल लेंस

(a) उत्तल लेंस:- ऐसा लेंस जो किनारों पर से पतला व बीच में से मोटा होता है , उसे उत्तल लेंस कहते है।

यह लेंस प्रकाश की किरणों को एक जगह इकट्ठा करता हैं। इसलिए इसे अभिसारी लेंस भी कहते है।

उत्तल लेंस

(b) अवतल लेंस:- ऐसा लेंस जो किनारों पर से मोटा व बीच से पतला होता है। उसे अवतल लेंस कहते हैं।

यह लैंस प्रकाश की किरणों को फैलाने का काम करता है। इसलिए इसे अपसारी लेंस भी कहते हैं।

अवतल लेंस

लेंस से संबंधित परिभाषाएँ

1. वक्रता केन्द्र:- किसी लेंस में लेंस का प्रत्येक पृष्ठ एक गोले का भाग होता हैं। इन गोलो के केन्द्र को वक्रता केन्द्र कहते हैं। इन्हें C1 व C2 से दर्शाया जाता है।

वक्रता केन्द्र

2. प्रकाशित केन्द्र (o):- किसी लेंस का वह केन्द्रीय बिन्दु जिससे प्रकाश की किरण सीधी निकल जाती है।
3. लेंस की फोकस बिन्दु:- किसी लेंस में मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाला प्रकाश अपवर्तन के पश्चात् जिस स्थान पर मिलता है या मिलता हुआ प्रतित होता हो, उसे मुख्य फोकस बिन्दु कहते है।

Chapter 1: रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण
Chapter 2: अम्ल, क्षारक एवं लवण
Chapter 3: धातु एवं अधातु
Chapter 4: कार्बन एवं उसके यौगिक
Chapter 5: तत्वों का आवर्त वर्गीकरण
Chapter 6: जैव प्रक्रम
Chapter 8: जीव में जनन कैसे होता है
Chapter 11: मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार
Chapter 12: विद्युत
Chapter 13: विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव
Chapter 14: ऊर्जा के स्त्रोत
Chapter 15: हमारा पर्यावरण
Chapter 16: प्राकृतिक संसाधनो का संपोषित प्रबंधन

लेंस द्वारा प्रतिबिंब निर्माण

उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिंब निर्माण

स्थिति 1

  1. बिंब की स्थिति:- अनन्त
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- f2 पर
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- बिन्दु आकार का

स्थिति 2

  1. बिंब की स्थिति:- C1 से परे
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- f2 व c2 के मध्य
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से छोटा

स्थिति 3

  1. बिंब की स्थिति:- C1 पर
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- c2 पर
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु के समान

स्थिति 4

  • बिंब की स्थिति:- C1 व F1 के मध्य
  • प्रतिबिंब की स्थिति:- c2 से परे
  • प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  • प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से बड़ा

स्थिति 5

  • बिंब की स्थिति:- f1 पर
  • प्रतिबिंब की स्थिति:- अनन्त पर
  • प्रतिबिंब की प्रकृति:- वास्तविक व उल्टा
  • प्रतिबिंब का आकार:- बहुत बड़ा

स्थिति 6

  • बिंब की स्थिति:- f व o के मध्य
  • प्रतिबिंब की स्थिति:- लेंस के पीछे
  • प्रतिबिंब की प्रकृति:- आभासी व सीधा
  • प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से बड़ा

अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब निर्माण

स्थिति 1

  1. बिंब की स्थिति:- अनन्त पर
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- f1 पर
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- आभासी व सीधा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- बिन्दु आकार का

स्थिति 2

  1. बिंब की स्थिति:- अनन्त व o के बीच
  2. प्रतिबिंब की स्थिति:- f1 व o के मध्य
  3. प्रतिबिंब की प्रकृति:- आभासी व सीधा
  4. प्रतिबिंब का आकार:- वस्तु से छोटा

लेंस सूत्र

\(\frac{1}{v} – \frac{1}{u}= \frac{1}{F}\)

u – बिंब की दूरी
v – प्रतिबिंब की दूरी
F – फोकस दूरी

आवर्धन क्षमता (लेंस के लिय)

किसी लेंस के लिए प्रतिबिंब की ऊँचाई h’ तथा बिंब की ऊँचाई h का अनुपात आवर्धन क्षमता कहलाता है।

आवर्धन(m) =\(\frac{h’}{h}\) = \(\frac{v}{u}\)

लेंस की क्षमता

किसी लेंस के द्वारा प्रकाश की किरणों को अभिसरण और अपसरण करने की क्षमता लेंस की क्षमता कहलाती है।

इसे P द्वारा दर्शाया जाता है।

लेंस की क्षमता (P) = 1/f(फोकस दूरी)
P=1/F

लेंस की क्षमता का मात्रक

लेंस की क्षमता का मात्रक डाइऑप्टर (D) होता है।

उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक होती हैं तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है।

अपवर्तनांक:- वायु में प्रकाश की चाल (C) तथा माध्य में प्रकाश की चाल (V) का अनूपात अपवर्तनांक कहलाता हैं।

इसे N द्वारा दर्शाया जाता हैं।

h = वायु में प्रकाश की चाल (C) / माध्यम में प्रकाश की चाल (V)

विभिन्न माध्यमों का अपवर्तनांक

  • वायु =1.0003
  • जल = 1.33
  • ऍल्कोहल = 1.36
  • कनाडा बाल सम = 1.53
  • नमक = 1.54
  • हीरा = 2.42

डाइऑप्टर की परिभाषा

ऐसा लेंस जिसकी फोकस दुरी 1m (मीटर ) होती है तो उस लेंस की क्षमता 1 डाइऑप्टर होती है।

\(p=\frac{1}{F}\)
F=1m
\(P=\frac{1}{1}D\)

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