Sangam Yug in Hindi। संगम युग नोट्स

यहाँ हमने संगम युग नोट्स(Sangam Yug in Hindi) हिन्दी मे दिये है। संगम युग नोट्स(Sangam Yug Notes) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Sangam Yug in Hindi। संगम युग नोट्स

संगम युग

  • संगम युग तीन राज्यों के शासनकाल का मिश्रित रूप है जिसे तमिलहम कहा जाता था।
  • तीन प्रमुख राज्य चोल राज्य, चेर राज्य और पांड्या राज्य थे।
  • संगम युग तमिस कवियों का संघ था।
  • संगम साहित्य से ज्ञात होता है कि दक्षिण में आर्य सभ्यता के तत्वों का प्रसार ऋषि अगस्तक और कौंडिल्य ने किया था।
  • “तिरुक्कामपुनियर” चेर, चोल, पांड्य  तीनों राज्यों का संगम स्थल था।
  • संगम युग के काव्यों को दो भागों में बाँटा गया है।
    • A. अहम:- इसका संबंध प्रेम से है।
    • B. पुरम – इसका संबन्ध युद्ध से है।
  • संगम साहित्य में तमिल प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
    • 1. कुरिंज :- पर्वत प्रदेश से संबंधित
    • 2. निथल:- समुद्र तट
    • 3. मरूदम :- कृषि भूमि
    • 4. मुलै :- अरण्य भूमि
    • 5. पलै :- सुखी भूमि
  • संगम कालीन महाकाव्यों में शिल्पादिकारम का बहुत अधिक महत्व था जिसके रचियता एलंगोआदिगम थे।
  • संगम युग में तीन संगमों का उल्लेख मिलता है-

प्रथम संगम

  • अध्यक्ष:- अगस्त्य ऋषि
  • संरक्षक :- पाण्ड्य शासक
  • स्थल :- मदुरै

द्वितीय संगम

  • अध्यक्ष:-लोलकापियर
  • संरक्षक:- पाण्ड्य शासक
  • स्थल :- कप्पाटपुरम

तृतीय संगम

  • अध्यक्ष:- नक्कीटर
  • संरक्षक :- पाण्ड्य शासक
  • स्थल :- उत्तरी मदुरा

चेर राजवंश

  • उदादिन-जेर इस वंश का प्रथम शासक था।
  • उदायिन- जेरल ने एक बड़ी पाकशाला” बनवाई थी जहां से वह लोगों में भी वितरण करता था
  •  इस राज्य के राजा “नेदुल जेरम आदन” ने “अधिराज की उपाधि धारण की थी।
  • “नेदुल जेरल आदन” ने इमयवरम्बन की भी उपाधि धारण की थी।
  •  चेर वंश का सबसे महानतम शासक सेनगुट्टवन था। जिसे “लाल चेर ” भी कहा जाता है।
  •  सेनगुट्टवन ने उत्तर दिशा में चढ़ाई की और गंगा को पर किया था।
  • आदिग ईमान नामक चेर शासक को दक्षिण में गन्ने की खेती प्रारम्भ करने का श्रेय प्राप्त है।
  • चेर की राजधानी “वांजी” (करुवर) थी।

चोल राज्य

  • चोल राज्य पूर्वी तमिलनाडु में “पेन्नार तथा वेल्लारू” नदियों के बीच स्थित था।
  • इस राजवंश का प्रतीक चिन्ह “बाघ था।
  • चोलों की प्रारम्भिक राजधानी “उत्तरी मनलूर” थी। बाद में “उरैयुर तथा तंजावुर भी राजधानियां बनी।
  • उरैयुर कपास के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
  • ईशा पूर्व दूसरी सदी में ऐलारा नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त किया तथा लगभग 50 वर्षों तक वहां शासन किया था।
  • प्रारम्भिक चोल राजाओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक “करिकाल” था।
  • इसने चोलों की तटीय राज्यधानी “पुहार” (अभी का कावेरी-पत्तनम) की स्थापना की तथा कावेरी नदी के किनारे 160 km लम्बा बांध बनवाया था।
  • तंजौर के निकट वेण्णी के युद्ध में उसे अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई, इस युद्ध में उसने पैर तथा पांड्य राज्य के 11 राजाओं के समूह को पराजित किया था।
  • “करिकाल” संगीत का ज्ञाता तथा वैदिक धर्म का अनुयायी था।
  • इस राज्य के राजा “पेनरकिल्ली” ने राजसूय यज्ञ किया था।

पांड्य राज्य

  • पांड्य का सर्वप्रथम उल्लेख “मेगस्थनीज ने किया था। ये राज्य मोतियों के लिये प्रशिद्ध था।
  • पांड्य की राजधानी “मदुरै” थी।
  • इसका प्रतीक चिन्ह कार्प (एक प्रकार की मछली) था।
  • इस राज्य के एक राजा “नेडियोन” ने समुद्रपुजा प्रारम्भ कराई थी।
  • पांड्य शासकों में सबसे विख्यात “नेडुंजेलियन” था। इसने एक प्रसिद्ध युद्ध “तलैयालगानम” को जीता था।
  • “नेडुंजेलियन” ने रोमन सम्राट “आगस्टस” के दरबार में अपना दूत भेजा था।
  • पाइयों की प्रथम राजधानी “कोरकाई/कोलकाई” थी जिसे बाद में “मदुरै” स्थानांतरित किया गया।
  • मदुरै को “मंदिरों का नगर” कहा जाता है।

संगमकालीन राजनीतिक व्यवस्था

  • संगमकालीन प्रशासन राजतंत्रात्मक एवं वंशानुगत था।
  • समस्त अधिकार राजा में निहित थे। राजा प्रजा को संतान के रूप में मानता था।
  • राजा का सर्वोच्च न्यायालय राजा की सभा “मैनरस” कहलाता था।
  •  प्रशासनिक सुविधा के लिए राज्यों को विभिन्न इकाइयों में विभाजित किया गया था जो निम्न है:-
    • 1. सम्पूर्ण राज्य-मंडलम
    • 2. प्रान्त- नाडू
    • 3. नगर या बड़े गांव- उर (पैकर)
    • 4. छोटे गांव: सिरैयूर
    • 5. पुराना गांव :- मुडुर
    • 6. छोटे ग्राम सभा :- अवै
    • 7. प्रमुख सड़क :- सालै
    • 8. सार्वजनिक स्थल:- पोडियल
  • ”पोडीयल” ग्राम प्रशासन की सबसे छोटी इकाई थी।
  • राजस्व की दर कुल उत्पादन का होता था।

राजस्व संबन्धी शब्द –

  1. भूमि की दो प्रसिद्ध माप:- मा या वेल्ली
  2. भूमिकर – करै
  3. चुंगी एवं सीमा शुल्क – उल्गु या संगम
  4. राजा को अदा किये जाने वाले कर :- कडमै या पाडू
  5. अतिरिक्त या जबरन वसूल किया जाने वाला कर – इखै

राजा की शक्ति पर पांच परिषदों का नियंत्रण होता था। जिन्हें पांच महासभा के नाम से जाना जाता था। जो निम्न थे:-

  1. मंत्री :- अभियचार
  2. पुरोहित – पुरोहितार
  3. सेनानायक – सेनापतियार
  4. दूत या राजदूत :- दुतार
  5. गुप्तचर – ओरार
  • सेना के कप्तान को “ऐनाडी” की उपाधि दी जाती थी।
  • सेना की अग्र टुकड़ी को “तुसी” पिछली टुकड़ी “कुलै” कहलाती थी।
  • चोल और पांइय दोनों के शासनकाल में सैनिक पर्दा पर “वेल्लाल” (धनी किसान) नियुक्त किये जाते थे।

संगमकालीन सामाजिक व्यवस्था:-

  • संगम युग चार वर्गों में विभाजित था। (1) अरसर (शासक) 2. अंडनर (ब्राहमण) 3. वेनिगर (वणिक) 4. वेलाल (वेलार किसान)
  • ब्राह्मणों एवं पुरोहितों को पर्याप्त प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
  •  मजदूरों को “कडेसियर” कहा जाता था।
  • सती प्रथा का प्रचलन था यह प्रथा विशेष कर उच्च सैनिक वर्ग में था। विधवाओं की स्थिति खराब थी।
  • अन्तर्जातीय विवाह एवं दास प्रथा प्रचलित थी।
  • दो तरह के विवाह का प्रचलन था।
    • कलावू:- माता-पिता के बिना जानकारी के किया गया विवाह।
    • कार्पू:- माता-पिता के जानकारी में किया गया विवाह।
  • दरबारी नृतकियों को “पारण और विडैलीयर” कहा जाता था।
  • इस युग में ब्राह्मण मांस खाते थे और ताड़ी भी पीते थे।

संगमकालीन आर्थिक स्थिति-

  • संगमकालीन अर्थव्यवस्था पूर्णतः आत्मनिर्भर थी।
  • सामान्यतः लोग कृषक, पशुपालक, शिकारी तथा मछुआरे थे।
  • कृषि के अतिरिक्त “जहाजों का निर्माण तथा कताई-बुनाई महत्वपूर्ण उद्योग था।
  • आधिकांश व्यापार “वस्तु-विनिमय प्रणाली द्वारा होता था।
  • बाजार को “अवनम” कहा जाता था।
  • पंड्य के “शालियुर” तथा  चेर “बंदर” नामक तट संगम युग के महत्वपूर्ण बन्दरगाह एवं व्यापारिक केंद्र थे।

संगमकालीन धार्मिक स्थिति

  • जीव आत्मावाद तमिल धर्म का एक प्रमुख अंग है। जल, नक्षत्र, और यहाँ की पूजा होती थी।
  • इस युग में दक्षिण में वैदिक धर्म का प्रचलन हो चुका था।
  • तमिल व्याकरण की उत्पत्ति “अगस्तक” ने की थी।
  • ब्राह्मण धर्म तथा वैदिक धर्म का सर्वाधिक प्रचलन था।
  • मछुआरे तथा तटवर्ती क्षेत्र के लोग “वरुण की पूजा करते थे।
  • किसान लोग मरूडम” (इंद्रदेव)की पूजा करते थे।
  • “मरूगम” (मुर्गा) तमिलों का सर्वश्रेष्ठ देव थे। ये पर्वत देवता थे।
  • परशुराम की माता मरियम्मा” चेचक से संबंधित “शीतला माता” थी।
  •  कापालिक शैव सन्यासियों की चर्चा तमिल ग्रन्थ “मणिमेखले में है।
  • दक्षिण भारत में “इंद्र के मंदिर को “व्रजकोट्टम” कहा जाता था।

विदेशी आक्रमण नोट्स
वैदिक काल नोट्स
मौर्य साम्राज्य नोट्स

संगमकालीन प्रमुख ग्रन्थ-

  1. तोलकापियम :– इसकी रचना तोलकापियर ने की थी। यह द्वितीय संगम का एक मात्र उपलब्ध ग्रन्थ है।
  2. मणिमेखले इसकी रचना “शितजै शतनार” ने की थी। इस ग्रन्थ में शिल्पादिकरम ग्रन्थ के नायक “कोवलन एवं उनकी दूसरी पत्नी “माधवी” नामक वैश्या का वर्णन है।
  3. शिल्पपादिकरण: इसकी रचना घेर वंश के शासक “शेनगुटवन” के भाई “इनांगोअडिगल” ने की थी। यह तमिल भाषा का प्रथम महाकाव्य है। इस ग्रन्थ के नायक “कोवलन एवं कन्नगी” है।
  4. जीवक चिंतामणि:- इसकी रचना जैन संत “तिरुकदेवर” ने की थी। इस ग्रन्थ के नायक “जीवक” नामक राजकुमार थे।
  5.  कुरुल:- इस ग्रन्थ की रचना “तिरुवल्लुवर” ने की थी।

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