Videshi Akraman in India। विदेशी आक्रमण नोट्स

यहाँ हमने विदेशी आक्रमण नोट्स(Videshi Akraman in Hindi) हिन्दी मे दिये है। विदेशी आक्रमण नोट्स(Vedic kal Notes in Hindi) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Videshi Akraman in India। विदेशी आक्रमण नोट्स

भारतीय यूनानी (इंडो-ग्रीक) :

  • उत्तर-पश्चिम से पश्चिमी विदेशियों का आक्रमण मौर्योत्तर काल की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना थी। सर्वप्रथम यवनों का आक्रमण “पुष्यमित्र शुंग के काल में हुआ था।
  •  भारतीय सीमा को सर्वप्रथम प्रवेश करने का श्रेय “डेमेट्रियस प्रथम” की है। इसने 103 ई. में भारत पर आक्रमण किया था, तथा पंजाब के कुछ भाग को जीता और “साकस” को अपनी राजधानी बनाई थी।
  • इसने यूनानी और खरोष्ठी दोनों लिपियों में भारत में सिक्के चलाये थे।
  • डेमेट्रियस के बाद “युक्रेटाइडस” ने भारत पर आक्रमण किया और “तक्षशिना” को अपनी राजधानी बनाया।
  • मिनांडर सबसे प्रसिद्ध राजा था जिसने भारत में यूनानी सत्ता को स्थायित्व प्रदान किया।
  • मिनांडर बौद्ध साहित्य में “मिनिन्द” के नाम से प्रसिद्ध है इसे दीक्षा “नागसेन ने दी थी।
  • प्रसिद्ध ग्रन्थ “मिलिंदपनहो” में बौद्ध भिक्षु नागसेन एवं मिनांडर के वृहद वार्ता संकलित है।
  • सर्वप्रथम इंडो-ग्रीक शासकों ने ही “लेख वाले शिक्के” (मुद्रालेखा तथा सोने के सिक्के जारी किये थे।
  • मिनांडर के कांस्य मुद्राओं पर धर्म चक्र का चिन्ह मिलता है।

शक

  • यूनानियों के बाद शक आये थे।
  •  भारतीय स्रोतों में शकों को सीथियन कहा गया था।
  • शक पाँच शाखाओं में विभक्त हो कर अपना शासन चलाते थे।
    • 1. प्रथम- अफगानिस्तान 2. द्वितीय पंजाब 3. तृतीय:- मथुरा 4. चतुर्थ:- पश्चिमी भारत  5. पांचवें:- ऊपरी दक्कन में
  • भारत में शक राजा अपने आप को “क्षेत्रप” कहते थे।
  • भारत में शक शासकों की दो शाखाएं हो गयी थी।
    • 1. उत्तरी क्षेत्रप  2. पश्चिमी क्षत्रप
  • भारत में शकों का सर्वाधिक प्रशिद्ध राजा “रुद्रदामन प्रथम” था।
  • रुद्रदामन ने ही प्रशिद्ध “सुदर्शन झील” की मरम्मत कराई थी। इस झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के अधिकारी पुष्यगुप्त वैश्य ने गुजरात के गिरनार में करवाया था।
  • रुद्रदामन संस्कृत का बड़ा प्रेमी था। उसने ही सबसे पहले संस्कृत भाषा में लंबा अभिलेख (जूनागढ़ अभिलेख) जारी किया था। इसके पूर्व जो भी अभिलेख जारी किये गए ये सब “प्राकृत भाषा” में थे।
  • शक वंश का अंतिम शासक “रुद्रसिंह तृतीय” था।

हिन्द-पार्थियन या पहलव:-

  • शकों के बाद भारत भारत पर “पार्थियाई लोगों” का राज हुआ।
  • इसका मूल निवास स्थान “ईरान” था।
  • भारतीय स्रोतों में इन्हें “पहलव” कहा गया है।
  • पहलव वंश का सबसे शक्तिशाली शसक “गोन्दोफर्निस” था।
  • गोन्दोफर्निस के शासन काल में “सेंट टॉमस” ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए भारत आया था।
  • “पहलव” शक्ति का असात्विक संस्थापक “मिथ्रेडेट्स प्रथम” था।
  • भारत में पहला पार्थियन शासक “माउस” था।
  • इस साम्राज्य का अंत कुषाणों द्वारा किया गया।

कुषाण :-

  • कुषाणों के दो राजवंशों ने भारत पर शासन किया।
  • कुजुल कडफिसस प्रथम 2. वीम कडफिसस द्वितीय
  • कडफिसस प्रथम ने रोमण सिक्कों की नकल करके तांबे के सिक्के ढलवाये ये तथा महाराजाधिराज की उपाधि धारण की।
  • वीम कडफिसस द्वितीय ने सिंधु नदी पर करके तक्षशिला और पंजाब पर अधिकार कर लिया।
  • वीम कडफिसस शैव धर्म का अनुयायी था। इसके द्वारा चलाये गए कुछ सिक्कों पर शिव, नदी, त्रिशूल की आकृतियां मिली है।
  • विम कडफिसस ने “महेश्वर” की उपाधि धारण की थी।
  • इन्हें “यूची” या “तोचेरियन” भी कहा जाता है।
  • इनका मूल निवास स्थान चीन की सीमा पर स्थित “चीनी तुर्किस्तान” था।

कनिष्क:-

  • कनिष्क कुषाण वंश का सबसे महान शासक माना जाता है। इसका काल लगभग 78 ई. माना जाता है।
  • इसने 78 ई. मैं एक संवत चलाया था जिसका नाम “शक संवत” है। आज भी यह संवत भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
  • यह बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा संपोषक एवं संरक्षक था।
  • इसके काल में ही कश्मीर के कुण्डलवन ने बौद्ध की चौथी संगीति हुई थी।
  • कनिष्क की प्रथम राजदनी पेशावर (पुरुषपुर) एवं दूसरी राजढनी मथुरा थी।
  • कनिष्क ने काश्मीर को जीतकर वहां “कनिष्कपुर” नामक शहर बसाया था।
  • कनिष्क ने पेशावर में एक “स्तूप और विहार” का निर्माण कराया जहां बुद्ध की अस्थि-अवशेषों को प्रतिष्ठित कराया।
  • “मैन उत्तर को छोड़कर शेष तीनो क्षेत्रों को जीत लिया है” यह कथन कनिष्क ने ही कहा था।
  • प्रसिद्ध चिकित्सक “ चरक” एवं प्रसिद्ध दार्शनिक “नागार्जुन” कनिष्क के दरबार में विराजमान थे।

नोट:-

  • बौद्ध धर्म के “महायान” शाखा का अभ्युदय एवं प्रचार कनिष्क के समय में ही हुआ था।
  • कनिष्क कुल का अंतिम महान शासक “वासुदेव” था।
  • कुषाणों ने ही सर्वप्रथम भारत में शुद्ध स्वर्ण मुद्राएं निर्मित कराई तथा छोटे-छोटे व्यापार के लिए तांबे एवं चांदी के सिक्के चलाये थे।
  • हाथी गुफा का अभिलेख कलिंग नरेश “खारवेल” से संबंधित है।
  • विक्रम संवत 57ई से शुरू हुई थी
  • चीनी जर्नल “पेन चाओं” ने कनिष्क को हराया था।
  • कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध की 18 शाखाएं मौजूद थी।
  • नक्षत्रों को देखकर भविष्य बताने की कला भारतीयों ने यूनानियों से सीखी थी।
  • मथुरा कला को आदर्शवादी कला की संज्ञा दी गयी थी।
  •  बुद्ध की पहली मूर्ति गंधार कला शैली में निर्मित किया गया था।

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