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Class 12 Chemistry Chapter 2 Notes in Hindi
विलयन दो या दो से अधिक रासायनिक पदार्थों का समांग मिश्रण है, जिसमें अवयवों की आपेक्षिक मात्राएं एक निश्चित सीमा तक निरंतर परिवर्तित की जा सकती हैं। उदाहरण के लिए,चीनी तथा जल का मिश्रण आदि।
विलयन में जीस अवयव की मात्रा अधिक रहती है, उसे विलायक तथा जिस अवयव की मात्रा कम रहती है उसे विलेय कहते हैं।
विलयनो के प्रकार
1.गैसीय विलयन
विलायक गैसीय अवस्था में हो , गैसीय विलयन कहलाता है।
गैसीय विलयन के निम्नालिखित प्रकार है –
a. ठोस -ठोस का विलयन :- वह विलयन जिसमे विलेय और विलायक दोनों ही ठोस अवस्था में रहते है ठोस -ठोस का विलयन कहलाता है। एल्यूमीनियम तथा लोहे का विलयन।
b. गैस -ठोस का विलयन:- वह विलयन जिसमे विलेय गैसीय और विलायक ठोस अवस्था में हो गैस -ठोस का विलयन कहलाता है। हाइड्रोजन तथा पैलेडियम।
c. द्रव -ठोस का विलयन:– वह विलयन जिसमे विलेय द्रव में और विलायक ठोस मे हो द्रव – ठोस का विलयन कहलाता है। पारा और सोडियम का विलयन।
2.द्रव विलयन
जिसमे विलायक द्रव अवस्था में रहता है, द्रव विलयन कहलाता है।
द्रव विलयन को भी तीन भागो में बाटा जा सकता है-
a. द्रव -द्रव का विलयन :- विलायक और विलेय दोनों द्रव में रहता है, द्रव-द्रव का विलयन कहलाता है। सिरका और जल।
b. ठोस -द्रव का विलयन :- विलेय ठोस और विलायक द्रव में रहता है, ठोस-द्रव का विलयन कहलाता है। नमक और जल का विलयन।
c. गैस – द्रव का विलयन:– विलेय गैस और विलायक द्रव अवस्था में, गैस -द्रव का विलयन कहलाता है।
3. ठोस विलयन
विलायक ठोस अवस्था में रहे ,उसे ठोस विलयन कहते है।
ठोस विलयन के तीन प्रकार है। –
a.ठोस -ठोस का विलयन:– विलेय और विलायक दोनों ठोस में हो, ठोस -ठोस का विलयन कहलाता हैं। ताँबा तथा सोने का विलयन।
b.गैस -ठोस का विलयन:- विलेय गैसीय और विलायक ठोस हो , गैस -ठोस का विलयन कहलाता है। हाइड्रोजन तथा पैलेडियम।
c. द्रव -ठोस का विलयन:- विलेय द्रव तथा विलायक ठोस हो ऐसे विलयन को द्रव –ठोस का विलयन कहते है। पारा तथा सोडियम का विलयन ।
विलयनो की सांद्रता को व्यक्त करना
विलयन में विलेय कि मात्रा जो किसी एक निश्चित आयतन के विलायक में घुली होती है, उसे ही विलयन की सांद्रता कहते हैं।
द्रव्यमान प्रतिशत (w/w)
विलयन के 100 ग्राम में घुली विलेय की मात्रा को उस विलयन का द्रव्यमान प्रतिशत कहते हैं।
आयतन प्रतिशत (V/V)
किसी विलयन के 100ml आयतन में उपस्थित विलेय का ml में आयतन की मात्रा विलयन का आयतन प्रतिशत कहलाता है।
द्रव्यमान–आयतन प्रतिशत
100 gm विलयन में घुले विलेय का द्रव्यमान
पार्ट्स पर मिलियन
जब विलेय का मात्रा बहुत सूक्ष्म होता है तब उसे ppm में प्रदर्शित करते हैं।
मोल-अंश
विलयन में उपस्थित विलेय/ विलायक के मोलो की संख्या तथा विलेय तथा विलायक के कुल मोलो की संख्या का अनुपात विलेय या विलायक का मोल अंश कहलाता है। किसी भी विलयन में विलायक एवं विलय के मोल अंशों का योगफल हमेशा एक होता है।
मोलरता
किसी विलयन के प्रति लीटर में उपस्थित विलेय के मोलो की संख्या को उस विलयन का मोलरता कहते है इसे M से सूचित करते हैं। ताप में परिवर्तन होने से विलियन की मोलरता में भी परिवर्तन होता है।
मोललता (Molality)
किसी विलायक के एक kg में घुले हुए विलेय के मोलो की संख्या विलयन की मोललता कहलाती है। इसे m से प्रदर्शित करते हैं। ताप में परिवर्तन होने से विलियन की मोललता में कोई परिवर्तन नही होता है।
विलेयता
किसी निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक मे घूलनेवाली किसी ठोस पदार्थ की वह मात्रा जो विलयन को संतृप्त कर दे, उस ताप पर उस ठोस पदार्थ की विलेयता कहलाती है।
विलेयता निर्भर करती है:-
- विलय एवं विलायक की प्रकृति पर।
- ताप पर।
- दाब पर।
ठोसो की द्रवो में विलेयता
एक निश्चित ताप 100 gm विलायक में किसी ठोस की की खुली हुई अधिकतम मात्रा जिसे संतृप्त विलयन बनाया जा सके वह ठोसो की द्रवो में विलेयता कहलाती है।
गैसों की द्रवो में विलेयता
एक निश्चित ताप पर गैसों की द्रवो में विलेयता एक निश्चित सीमा तक ही होती है। द्रव द्वारा गैस का अवशोषण करने पर गैसीय विलयन प्राप्त होता है। इसे गैस का अवशोषण भी कहते हैं।
हेनरी का नियम
गैसों में द्रवो की विलेयता गैसो के दाब का सीधा अनुपाती होता है।
P=kx
द्रवीय विलयनों का वाष्प दाब
एक निश्चित ताप पर साम्यावस्था में द्रव की सतह पर आरोपित वाष्प का दाब द्रवीय विलयनों का वाष्प दाब कहलाता है।
द्रव -द्रव विलयनों का वाष्प दाव
द्रव का द्रव में विलयन द्विअंगी विलयन कहलाता है।
द्विअंगी विलयन में किसी वाष्पशील अवयव का आंशिक दाब किसी भी ताप पर शुद्ध अव्यवों के वाष्प-दाब और विलयन में, उसके मोल-प्रभाज के गुणनफल के बराबर होता है
राउल्ट का नियम
जब किसी वाष्पशील द्रव का विलयन द्रव विलायक में बनाया जाता है तथा विलयन में दोनो अवयव वाष्पशील होते हैं, विलयन का वाष्पदाब दोनो अवयवों के वाष्पदाब के योगफल के बराबर होता है।
माना कि किसी विलयन में दो वाष्पशील अवयव द्रव के रूप में A और B उपस्थित है। इन अवयवों के आंशिक दाब क्रमश: PA और PB हो और विलयन का कुल वाष्पदाब P हो तो
P= PA + PB
राउल्ट नियम के अनुसार, वाष्पशील द्रवों के विलयन में प्रत्येक अवयव का आंशिक दाब विलयन में उसके मोल अंश का समानुपाती होता है।
ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन एवं उनका वाष्प दाब
ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन के भौतिक गुण शुद्ध विलायकों से बहुत अलग होते हैं, जैसे वाष्प दाब। सोडियम क्लोराइड, ग्लूकोज, यूरिया आदि का जल में विलयन आयोडीन, गंधक आदि ठोस का कार्बन डायऑक्साइड में विलयन इस प्रकार के विलयन ,ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन के कुछ उदाहरण हैं।
आदर्श एवं अनादर्श विलयन
आदर्श विलयन:- वे विलयन जो राउल्ट के वाष्पदाब नियम का सभी सांद्रताओ व तापो पर पूर्णत: पालन करते हैं आदर्श विलयन कहलाता है।
अनादर्श विलयन :- वे विलयन जो किसी ताप या सान्द्रता पर राउल्ट के नियम की पालन नहीं करते है और अवयवो के निर्माण के दौरान एंथेलेपी परिर्वतन और आयतन परिर्वतन प्रर्दशित करते है अनादर्श विलयन कहलाते है।
अनुसंख्य गुणधर्म और आण्विक द्रव्यमान की गणना
किसी विलयन के गुण जो विलयन में उपस्थित विलेय कणों ( अणुओं और आयनों) की संख्या पर निर्भर करते हैं। ऐसे गुणधर्मों को अनुसंख्य गुणधर्म कहते हैं। विलयनों के गुणधर्म निम्नालिखित है:-
- वाष्प दाब का आपेक्षित अवनमन
- क्वथनांक का उन्नयन
- हिमांक का अवनमन
- परासरण दाब
1.वाष्प दाब का आपेक्षित अवनमन
किसी शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशिल विलय मिलाते है तो विलायक का वाष्पदाब कम हो जाता है अर्थात् विलयन का वाष्पदाब शुद्ध विलायक के वाष्पदाब से कम होता है वाष्पदाब में यह कमी वाष्प दाब का आपेक्षित अवनमन कहलाती है।
2.क्वथनांक का उन्नयन
प्रत्येक द्रव एक निश्चित ताप पर उबलता है जिससे उसका क्वथनांक कहते हैं। इस ताप पर द्रव का वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है।
जैसा कि सुद्ध विलायक का कमरे के ताप (T₁) पर निश्चित आप निश्चित वाष्प दाब (P₁) होता है। जब इसे गर्म किया जाता है तब इसका वाष्प दाब धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और T₂ ताप पर जब इसका वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, तब यह उबलने लगता है।
3.हिमांक का अवनमन
जब विलायक में कोई अवाष्पशिल विलय मिलाते है तो वाष्प दाब में कमी के साथ साथ हिमांक में भी कमी होता है । हिमांक में इस कमी को हिमांक का अवनमन कहा जाता है।
4.परासरण एवम परासरण दाब
जब किसी विलयन को अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली के द्वारा शुद्ध विलायक से अलग रखा जाता है, तब विलायक के कण झिल्ली में से होकर विलयन में बहने लगते हैं और तब तक बहते हैं जब तक कि झिल्ली के दोनों ओर विलयन का सांद्रण बराबर नहीं हो जाता है। इस क्रिया को परासरण कहते हैं।
विलयन पर आरोपित वह बाहा दाब, जिसके कारण विलयन का वाष्प दाब बढ़कर विलायक के वाष्प दाब के बराबर हो जाता है, विलयन का परासरणी दाब कहलाता है।
असामान्य मोलर द्रव्यमान
ऐसे मोलर द्रव्यमान जो सामान्य मोलर द्रव्यमान की तुलना में अधिक या कम प्राप्त होते है उन्हें विलेय पदार्थ का असामान्य मोलर द्रव्यमान कहते है , यह विलेय पदार्थ के विलयन में संगुणन या आयनन के कारण होता है।
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Class 12 Chemistry Chapter 1 Notes in Hindi ठोस अवस्था
Class 12 Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi वैधुतरसायन
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Chemistry
Hii Rakesh Kumar yadav,
Kindly ask your doubt clearly.
Thank you
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