Class 11 History Chapter 1 Notes in Hindi
समय की शुरुआत
- आज से 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर मानव का उद्भव हुआ और हमारे जैसे मानव की उत्पत्ति 1,60,000 वर्ष पहले हुआ जिसे आधुनिक कहते हैं।
- ये खानाबदोश होते थे आमतौर पर शिकार करते, मारे हुए हुए जानवर को खाते जंगल में फलफूल खाकर अपना जीवन आपन करते थे।
- धीरे- धीरे आग का खोज हुआ फिर जानवरो का मांस पकाकर खाने लगे। खेती और पशुपालन करके स्थाई जीवन निर्वाह करने लगे।
मानव का विकास
1.आधुनिक मानव के पूर्वज :-
- मानव के विकास के क्रम को 360 से 240 लाख वर्ष तक को कहा जा सकता है।
- इसी समय एशिया तथा अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों की प्राइमेट (Primates) श्रेणी का उद्भव हुआ था।
- 240 लाख वर्ष पहले ‘प्राइमेट’ श्रेणी में एक उपसमूह उत्पन्न हुआ जिसे होमिनॉइड (Hominoids) कहते हैं। इस उपसमूह में वानर (Ape) शामिल थे 56 लाख वर्ष पहले, प्रथम होमिनिड (Hominids) प्राणियों के अस्तित्व का अफ्रीका से साक्ष्य मिलता है।
- होमिनिडों को कई वर्गो में बाँटा जा सकता है। इनमें से आस्ट्रेलोपिथिकस (Australopithecus) एवं होमो (Homo) प्रमुख हैं। आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो में मुख्य अन्तर मस्तिष्क के आकार, जबड़ों तथा दाँतों के आधार पर किया जाता है। आस्ट्रेलोपिथिकस के मस्तिष्क का आकार होमो से बड़ा होता है, जबड़े अधिक भारी होते हैं तथा दाँत भी ज्यादा बड़े होते हैं।
2.आधुनिक मानव का उद्भव:-
आधुनिक मानव के उद्भव के विषय में दो मत प्रचलित हैं, दोनो मत एक दूसरे के विपरीत हैं।
- क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल :- विभिन्न क्षेत्रों में पुरातन होमो सेपियन्स धीरे-धीरे आधुनिक मनुष्यों में विकसित हुए, और इसलिए आधुनिक मनुष्यों की पहली उपस्थिति में भिन्नता दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग -अलग है।
- प्रतिस्थापन मॉडल:- इस मॉडल के अनुसार मनुष्य का विकास एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। तथा सभी अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गए।
आदिकालीन मानव : भोजन प्राप्त करने के तरीके
- आदिकालीन मानव विभिन्न तरीकों से भोजन प्राप्त करता था। जैसे:- शिकार, मछली पकड़ना , मारे हुए जानवर के मांस आदि।
- विभिन्न विद्वानों के अनुसार, आदिकालीन होमोनिड भोजन के लिए मांस की तलाश मरे जानवरों के मांस को खाते होंगे। ये जानवर मरे होते होंगे अथवा अन्य जानवरों के द्वारा मार दिये जाते होंगे। यह भी हो सकता है कि प्रारम्भिक होमोनिड छोटे स्तनपायी जानवरों, जैसे-चूहे तथा पक्षियों व उनके अंडों के अतिरिक्त कीड़े-मकोड़ों को भी खाते होंगे।
आदिकालीन मानव का निवास स्थान
- पुरातत्वविदों के अनुसार आदिमानव एक ही क्षेत्र में होमिनिड अन्य प्राइमेटों एवं माँसाहारियों के साथ निवास करते थे। पूर्व होमिनिड भी होमोहैबिलिस के जैसे जहाँ कहीं भी और जैसा भी भोजन प्राप्त हो , वही खा लेते थे। वे अलग -अलग स्थानों पर सोते थे तथा अपना अधिकांश समय वृक्षों पर बिताया करते थे।
- लगभग 4 लाख से 1.25 लाख वर्ष पहले गुफाओं तथा खुले निवास स्थलों पर रहना शुरू हो गया था। इस बात के प्रमाण यूरोप के अनेक स्थलों से प्राप्त हुआ हैं। दक्षिणी फ्रांस में लेज़रेट गुफा में 12×4 मीटर आकार का एक आश्रय स्थल प्राप्त हुआ है। इसके अन्दर दो चूल्हों तथा विभिन्न भोजन स्रोतों के प्रमाण मिले हैं।
प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण
- आदिकालीन मानव द्वारा पत्थर के औजार बनाने एवं उनको प्रयोग किये जाने के सबसे पुराना साक्ष्य इथियोपिया व केन्या के पुरास्थलों से मिले हैं।
- आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति ने सर्वप्रथम पत्थर के औजार बनाये थे। इस बात की सम्भावना है कि पत्थर के औजार पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों के द्वारा बनाया जाता था।
संप्रेषण एवं संचार के माध्यम : भाषा और कला
- माना जाता है कि होमोहैबिलिस मानव के मस्तिष्क में ऐसी कुछ विशेषताएँ थीं, जिसके कारण वे बोल सकते थे।
- भाषा का विकास सर्वप्रथम लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ होगा।
अफ्रीका में शिकारी-संग्राहकों के साथ प्रारम्भिक संपर्क
1870 में अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल के निवास करने वाले ‘कुंग सैन’ नाम का एक शिकारी संग्राहक समाज के साथ एक अफ्रीकी पशुचारक समूह के एक सदस्य के साथ प्रथम बार सम्पर्क हुआ।
हादज़ा जनसमूह:- हादज़ा’ शिकारियों तथा संग्राहकों का एक छोटा समूह है जो ‘लेक इयासी’ नामक खारे पानी की झील के पास रहते हैं। ये लोग हाथी को छोड़कर सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं तथा उनका माँस खाते हैं। हाजदा लोग भूमि और उसके संसाधनों पर अपना अधिकार नहीं मानते हैं।
शिकारी-संग्राहक समाज : वर्तमान से अतीत की ओर
वर्तमान शिकारी-संग्राहक समाजों के बारे में से प्राप्त जानकारी का उपयोग क्या अतीत के मानव के जीवन को पुनर्निर्मित करने में किया जा सकता है ? इस सम्बन्ध में वर्तमान में दो विचार प्रचलित हैं जो परस्पर एक दूसरे के विरोधी हैं।
- प्रथम विचारधारा को मानने वाले विद्वानों ने वर्तमान के शिकारी-संग्राहक समाजों से प्राप्त विशेष तथ्यों एवं आँकड़ों का प्रत्यक्ष रूप से अतीत के पुरातत्वीय अवशेषों की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया गया है।
- दूसरी विचारधारा को मानने वाले विद्वानों के अनुसार संजातिवृत्त संबंधित तथ्यों एवं आँकड़ों का उपयोग अतीत के समाजों को समझने के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों चीजें एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हैं।
- अभी के शिकारी संग्राहक समाजों में आपस में बहुत अधिक भिन्नता दिखाई देती है।
उपसंहार
- शिकारी संग्राहक समाज ने 10,000 से 45,00 वर्ष पहले ही कृषि करना एवं पशुओं को पालतू बनाना सीख लिया था। इसके बावजूद कृषि एवं पशुपालन कार्य उनकी जीवन पद्धति का हिस्सा बन गया।
- हिमयुग 13,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ तथा इसके साथ ही अधिक गर्म एवं नम मौसम की शुरुआत हुई।
- इसके बाद ही घास व जंगल तथा जौ व गेहूँ के लिए उपयुक्त जलवायु विकसित हुईं। लगभग 10,000 वर्ष पहले कृषि एवं पशुचारण का विकास जिस क्षेत्र में हुआ उसे उर्वर अर्धचन्द्राकार प्रदेश कहा गया है। इसका विस्तार भूमध्य सागर के तट से ईरान में जागरोस पर्वतमाला तक का था।
- कृषि एवं पशुचारण शुरू होने से कई परिवर्तन हुए; जैसे-मिट्टी के ऐसे बर्तन बनने लगे जिनमें अनाज को रखा जा सके एवं खाना पकाया जा सके। धीरे-धीरे लोग टिन एवं ताँबे जैसी धातुओं से परिचित हुए। पहिए के आविष्कार ने बर्तन बनाने एवं परिवहन को आसान बनाया।
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