Jain Dharm in Hindi | जैन धर्म नोट्स

यहाँ हमने जैन धर्म नोट्स हिन्दी मे दिये है(Jain Dharm in Hindi)। जैन धर्म नोट्स(Jain Dharm Notes in Hindi) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Jain Dharm in Hindi । जैन धर्म नोट्स

जैन धर्म

  • जैन धर्म के संस्थापक भगवान ऋषभदेव या आदिदेव थे।
  • ये जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे।
  • इनका जन्म अयोध्या में हुआ था। एक मान्यता के अनुसार इनके पुत्र भरत के नाम पर ही भारत का नाम भारत वर्ष पड़ा।
  • इनके पिता अयोध्या के महाराज “नाभिराय एवं माता मरूदेवी थी
  • इनके पालकी का नाम सुदर्शना था।
  • इनका प्रतीक चिन्ह वृषभ था।
  • इनकी तीन पत्नी थीं।

पाश्वर्यनाथ

  • जैन धर्म के 23वे तीर्थकर पाश्वर्यनाथ थे।
  • पाश्वर्यनाथ का जन्म उत्तरप्रदेश के बनारस के काशी में हुआ था।
  • पाश्वर्यनाथ के पिता बनारस के राजा “अश्वसेन” एवं माता “वामादेवी” एवं पत्नी प्रभावती” थी।
  • पाश्वर्यनाथ का प्रतीक चिन्ह सर्प या सांप है।
  • इनका निर्वाण 100 वर्ष की आयु में “सम्मेद पर्वत पर हुआ था।
  • इनके अनुयायियों को निर्धन्य कहा जाता था।
  • पाश्वर्यनाथ ने अपने अनुयायियों को चार नियम बताये थे।
    • अहिंसा:- मन, वचन एवं काया से किसी को भी चोट नहीं पहुंचना चाहिए।
    • सत्य:- सदा सत्य बोलना चाहिए।
    • अचौरय :- चोरी नहीं करना या बिना किसी की अनुमति या सहमति के उसके वस्तु का उपयोग नहीं करना चाहिए।
    •  अपरिग्रह :- आवश्यकता से अधिक धन संग्रह करना अपरिग्रह है।

 महावीर

  • इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
  • भगवान महावीर ने पाश्वर्यनाथ द्वारा बताये गए इन चार नियमों में एक पांचवां नियम ब्रहमचर्य को जोड़ा था।
  • इनका जन्म 599 ई. में बिहार के वैशाली जीले के कुण्डलग्राम नामक स्थान में हुआ था। इनके बचपन का नाम वर्धमान था।
  • इनके पिता सिद्धार्थ जात्रिक कुल के प्रधान थे। इनकी माता विदेहदत्त / त्रिशला थी जो लिच्छवि वंश की राजकुमारी थी।
  • इसकी पत्नी का नाम यशोदा था। जो कंडिगो की थी
  • इनकी पुत्री का नाम प्रियदर्शना था जिसका विवाह जमाली नामक क्षत्रिय से हुआ था जो महावीर के प्रथम शिष्य भी थे।
  • 30 वर्ष की अवस्था में महावीर ने गृह त्याग किया और 12 वर्ष की कठोर तपस्या एवम साधना के बाद 42 वर्ष की अवस्था में भगवान महावीर को जुम्भिकग्राम के समीप रुजुपालिका नदी के किनारे एक साल के वृद्ध के नीचे कैवल्य (सर्वोच्च जान) प्राप्त हुआ।
  • कैवल्य प्राप्त हो जाने के बाद महावीर को केवलीन जिन (विजेता) अहर्त (योग्य), निर्यन्ध (बंधन रहित) जैसी उपाधियां मिली।
  • महावीर ने जैन धर्म के त्रिरत्न बतलायें थे। (1) सम्यक दर्शन (2) सम्यक ज्ञान (3) सम्यक आचरण ।
  • 72 वर्ष की आयु में 527ई.पू में बिहार के पावापुरी नामक स्थान में महावीर की मृत्यु हो गयी।
  • जिसे जैन धर्म में निवार्ण या मोक्ष की प्राप्ति कहते हैं।
  • बौद्ध साहित्य में महावीर को निगण्ठ-नायपुत्त कहा जाता है।
  • जैन धर्म में भिक्षुओं के लिए पंच महावत तथा गृहस्थी के लिए पंच अणुवर्ती की व्यवस्था है।
  • जैन धर्मानुसार ज्ञान के तीन स्रोत हैं—(1) प्रत्यक्ष (2) अनुमान (3) तीर्थकरों के वचन
  • महावीर ने अपने जीवन काल में एक ही संघ की स्थापना की जिसमे 11 अनुयायी थे जिन्हें गणधर कहा जाता है।
  • महावीर के जीवनकाल में ही 10 गणधर की मृत्यु हो गयी। और एक अनुयायी सुधर्मन महावीर के मृत्यु के बाद भी जीवित रहा था।

जैन धर्म के प्रमुख स्थल

  1. पारसनाथ/ सम्मेद शिखर / मधुवन – झारखण्ड के गिरिडीह जिले में स्थित यह स्थान “जैनियों का मक्का” कहलाता है क्योंकि 24 में से 20 तियंकर को मोक्ष की प्राप्ति इसी स्थान पर हुई थी। 23वै नियंकर पाश्वर्यनाथ को भी यही मोक्ष मिला था जिसके कारण इस क्षेत्र को पारसनाथ कहा जाता है।
  2. पारसनाथ झारखण्ड की सबसे ऊंची छोटी है जिसकी ऊंचाई 1365 मी है।
  3. माउंट आबू राजस्थान का यह हिल स्टेशन जैन धर्म के प्रसिद्ध “दिलवाझ मंदिर में संगमरमर की नक्कासी के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण “वस्तुपाल एवं तेजपाल ने मिलकर करवाया था।
  4. श्रवणबेलगोला/ गोमतेश्वर कर्नाटक के “हासन जिले में स्थित इस स्थान में भगवान “बाहुबली” की भारत में सबसे ऊंची प्रतिमा स्थित है।
    • इस प्रतिमा का निर्माण गंग वंश के शासक राजा यामुंद राय ने पट्टानों को काटकर करवाया था।
    • इस प्रतिमा के ठीक सामने एक पहाड़ी है जिसे चंद्रगिति के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य को मोक्ष या निर्माण की प्राप्ति हुई थी।
  5. खंडगिरि एवं उदयगिरि- उड़ीसा के भुवनेश्वर में ये दोनी गुफाएं  स्थित है यहां जैन भगवानों की मूर्तियों का निर्माण कराया गया है।
    • खंडगिरि में 15 गुफाएं है एवं उदयगिरि में 10 गुफाएं हैं।
  6. गिरनार : गुजरात के जूनागढ़ में स्थित यह मंदिर तिर्यकर नेमिनाथ के नाम पर प्रसिद्ध है। नेमिनाथ को     यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
  7. चम्पापुर बिहार के भागलपुर में स्थित इस स्थान से जैनो के तीर्थकरों वासुपूज्य स्वामी वसुमुल स्वामी) को मोक्ष प्राप्त हुआ था।
  8. कैलाशपर्वत :- यहां से ऋषभदेव आदिनाथ भगवान को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
    • चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में 300 ई.पू. में जैन धर्म दो भागों में दिगम्बर एवं श्वेताम्बर में बंट गया।
    • दिगम्बर वे लोग कहलाये जो वस्त्र धारण नहीं करते थे अर्थात जिनका वस्त्र ये चारो दिशाएं थी।
    • श्वेताम्बर वे लोग कहलाये जो श्वेत वस्त्र धारण किये होते थे।

जैन धर्म की संगीति

प्रथम संगीति :-

  • समय- 300 ई.पू.
  • स्थान-पाटलिपुत्र
  • अध्यक्ष- स्थूलभद्र एवं सम्भूति विजय
  • विशेषता- जैन धर्म दो भागों में बंट गया। दिगम्बर और स्वेताम्बर

द्वितीय संगीति :-

  • समय- 513 ई.पू
  • अध्यक्ष देवची क्षमाश्रमण
  • स्थान- गुजरात के वल्लभी मै
  • विशेषता धर्मग्रन्थों का अंतिम संकलन कर लिपिबद्ध किया गया।
  • भद्रबाहु एवं उनके अनुयायी दिगम्बर कहलाये इन्हें दक्षिणी जैनी भी कहा जाता था।
  • स्थलबाहु एवं उनके अनुयायी श्वेताम्बर कहलाये।

जैन धर्म से हुए प्रमुख शब्द

  1. निग्रन्थ- भगवान महावीर को निग्रन्थ कहा जाता है जिसका अर्थ बंधन रहित होता है।
  2. मोक्ष या निर्वाण :- जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाना ही मोक्ष या निर्वाण कहलाता है।
  3. कैवलीन सच्चे ज्ञान या कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति करने वाले को ही केवलीन कहा गया।
  4. जितेंद्रीय:- जिसने इन्द्रियों को जीत लिया हो उसे जितेंद्रीय कहा जाता है।
  5. अहर्त:- जिसमे योग्यता होआ जो योग्य हो उसे अहतै कहा जाता है।
  6. सल्लेखना:- उपवास द्वारा शरीर का त्याग करना।

• जैनों के उत्तर भारत में दो प्रमुख केंद्र उज्जैन एवं मथुरा थे।

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