Harihar Kaka Extra Questions
1. हरिहर काका की अपने परिवार के सदस्यों से मोहभंग की शुरुआत किस प्रकार हुई ? क्या यह मोहभंग उचित था ?
Ans:- कभी हरिहर काका की तबीयत खराब हो जाती तो वह मुसीबत में पड़ जाते। इतने बड़े परिवार के रहते हुए भी कोई उन्हें पानी देने वाला तक नहीं था। बच्चे या तो पढ़-लिख रहे होते या खेलते। भाई खेतों में रहते और औरतें हाल पूछने भी नहीं आतीं। कमरे में अकेले पड़े हरिहर काका को खुद उठकर अपना काम करना पड़ता। ऐसे समय में अपनी पत्नियों को याद कर-करके हरिहर काका की आँखें भर आतीं। भाइयों के परिवार के प्रति मोहभंग की शुरुआत इसी समय में हुई थी।
हरिहर काका का मोहभंग को उचित कहेंगे क्योंकि हरिहर काका से उनके परिवार वाले सिर्फ उनकी जमीन का लालच के लिए साथ रखे थे जरूरत के समय उनका कोई देखभाल नहीं करते इसलिए हम कह सकते हैं की उनका यह मोहभंग उचित था।
2. पुजारी द्वारा हरिहर काका के घर की बाते सुनकर ठाकुरबारी के महंत के कान खड़े हो जाने को आप किस प्रवृति क दोतक मानते हैं? ऐसी स्थिति में आपकी समझ उनका क्या कर्तव्य होना चाहिए था ?
Ans:- पुजारी द्वारा हरिहर काका के घर की बाते सुनकर ठाकुरबारी के महंत के कान खड़े हो जाते हैं। जब महंत को पता चलता है की हरिहर काका ने अपना घर छोड़ दिया है ठाकुरबारी के लोग हरिहर काका को समझाकर ठाकुरबारी ले जाते है। और हरिहर काका को समझने का प्रयास करते हैं। संसार की निंदा करके और दुनिया को स्वार्थी कहकर ईश्वर की गुनगान करके। महंत ने हरिहर काका की खाने पीने और रहने की बहुत अच्छी व्यवस्था करके उनकी जमीन को ठाकुरबारी के नाम करने का बहुत प्रयास किया।
कुछ समय के महंत एक दिन योजना बनाकर अपने आदमियों की मदद से हरिहर काका का अपहरण करवा लिया। महंत एक लालची किस्म का स्वार्थी इंसान था वह अपने स्वार्थ के लिए हरिहर काका का जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहता था।
हमारे अनुसार ऐसी स्थिति में महंत का यह कर्तव्य होना चाहिए की वह हरिहर काका के परिवार को अअच्छे से समझाए और उन्हें उनके कर्तव्य को याद दिलाए।
3. ठाकुरबारी से घर लौटने पर हरिहर काका की स्थिति में क्या परिवर्तन आया?
Ans:- ठाकुरबारीसे घर लौटते ही हरिहर काका की स्थिति में बहुत परिर्वतन आया। हरिहर काका की अब बहुत सेवा होने लगी उन्हे जिस किसी वस्तु की जरूरत पड़ती आवाज देते तुरंत मिल जाता था। घर के सभी छोटे-बड़े सभी लोग हरिहर काका का आदर-सत्कार करने लगे। उन्हें घर के सभी सदस्य अब इज्जत देने लगे। घर के लोग जमीन को अपने नाम लिखवाने का प्रयास करने लगे । परंतु हरिहर काका ने अपने जीते जी कई ऐसे उदाहरण देख लिए थे जो अपनी जमीन रिश्तेदारों के नाम लिख दिए थे और बाद में पश्चता रहे थे। उन्होंने फैसला कर लिया कि वे जीते-जी किसी को भी अपनी जमीन नहीं लिखेंगे। महंत भी बार बार आकर उन्हें समझाने लगते। इस प्रकार ठाकुरबारी से घर आने पर हरिहर काका की स्थिति में परिवर्तन आया।
4. समाज में हरिहर काका जैसे वृद्ध व्यक्तियों के लिए युवा पीढ़ी का क्या कर्तव्य है?
Ans:- वर्तमान पीढ़ी को निस्वार्थ वृद्ध व्यक्तियों की सेवा और मानदान करना चाहिए । हमें यह नहीं भूलना चाहिए वृद्ध भी बच्चे की ही तरह होते है, उनको भी देखभाल की जरुरत होती है। हमें अपने स्वार्थ को हटाकर अपने घर के वृद्धो के प्रति कर्तव्यों का पालन करना चाहिए | साथ ही साथ वृद्ध भी हमारे समाज के ही अंग है, इसलिए हमें विशेषकर यह ध्यान रखना चाहिए की उन्हें कभी अकेला न छोड़े अर्थात हमें उनको अकेलेपन महसूस नहीं करवाना चाहिए | उन्हें कभी डांटना नहीं चाहिए। बुजुर्ग हमेशा हमारे मार्गदर्शक होते हैं। इस प्रकार वर्तमान समाज में हरिहर काका जैसे वृद्ध व्यक्तियों के लिए युवा पीढ़ी का यह कर्तव्य होना चाहिए की उन्हें आदर सत्कार करे।
5. कहानी के आधार पर महंत जी का चरित्र चित्रण कीजिए।
Ans:- महंत जी मंदिर के पुजारी थे परंतु बहुत लालची किस्म के व्यक्ति थे। वे केवल अपने बारे में सोचते थे। धर्म के नाम पर लोगो से बहुत छल, कपट करते थे। जब भी देखते की कोई इंसान दुखी या परेशान है उसे घर छोड़ने के लिए उकसाते या अपनी संपत्ति का त्याग करने को कहते। वे लोगो से कहते की संसार स्वार्थी है, रिश्तेदार स्वार्थी है, मोह माया से निकलकर घर छोड़ दे और अपनी जमीन जायदाद मंदिर के नाम कर दे। अपनी इन्हीं बातों से हरिहर काका को भी अपनी जाल में फंसा लिया परंतु जब उन्होंने अपनी संपत्ति मंदिर के नाम करने से मना कर दिया तब उन्होंने हरिहर काका का अपहरण करवा लिया। उन्होंने हरिहर काका से जबरजस्ती संपति के लिए अंगूठे लगवाए।
6. हरिहर काका के जीवन के अनुभवों से हमें क्या सीख मिलती है?
Ans:- हरिहर काका के अनुभवों से हमें यह सीख मिलती है कि आज के युग में पूरी दुनिया अपने-अपने स्वार्थों को पूरा करने में लगी हुई है। हमे धन दौलत लालच का त्याग करबड़े बुजुर्गों का ध्यान रखना चाहिए। धार्मिक संस्थाएँ में भी महंत जी जैसे लालची और स्वार्थी लोग रहते हैं। हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि धार्मिक अंधविश्वासों से दूर रहना चाहिए। जीवन में रिश्तों की अहमियत को समझना चाहिए। बड़ों के साथ आदर-सम्मान व छोटों के साथ प्रेम से रहना चाहिए। बाहरी लोगो के बहकावे में भी नहीं आना चाहिए। परिवार के आपसी झगड़ो को घर के लोगो द्वारा ही दूर करना चाहिए। तथा हरिहर काका के जीवन से यह सीख मिलती है की जीते-जी किसी के भी नाम अपनी जायदाद नहीं करनी चाहिए।
7. हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप उसे उचित मानते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
Ans:- हरिहर काका के साथ उनके भाइयों और ठाकुरबड़ी के महंत ने बहुत बुरा बर्ताव किया। दोनों ने उनके साथ ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह अपनी जमीन उन दोनों में से किसी के नाम नहीं कर रहे थे। महंत चाहता था कि हरिहर अपनी जमीन को ठाकुर जी के नाम कर दे। अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसकी जमीन उसके भाई ले लेंगे। वहीं भाई चाहते थे कि हरिहर काका जीते जी अपनी जमीन अपने भतीजों के नाम कर दे। हरिहर काका दोनों ही बात मानने को तैयार नहीं थे। हरिहर काका ने जमीन जायदाद हाथ से चली जाने के बाद क्या होता है वह स्थिति को बहुत अच्छे से जानते थे। इसलिए से वह अपनी जायदाद जीते जी किसी के नाम नहीं करना चाहते थे।
8. हरिहर काका’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है? उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए।
Ans:- महंत से समाज की अपेक्षा होती है कि समाज का महंत हर स्तिथि में लोगो की मदद करें, उनकीं सहायता करें | परिस्थिति कैसी भी हो, चाहे दुःख हो या सुख, हर परिस्थिति में महंत लोगों की मदद करें | महंतो को लोगो के दुःख को कम करना चाहिए होता है यही उनकी भूमिका होती है , न की उनके दुखों को बढ़ाना | महंतो को लोगों के दुखी परिस्थिति का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए |
परंतु इस कहानी में महंत की भूमिका उल्टा है हरिहर काका कहानी में महंत बहुत लालची और दबंग किस्म का है। वह लोगो की भलाई के विषय के बारे में न सोचकर केवल अपने फायदे के विषय में सोचते थे | हरिहर काका से उनकी जमीन लेने के लिए महंत ने उनका अपहरण तक कर लिया | ऐसा व्यहवार महंतो का नहीं होना चाहिए।
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