Harihar kaka Class 10 Question Answers – [NCERT + PYQ]

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Harihar kaka Class 10 Question Answers
Source: successcds.net

NCERT Questions Solutions:

कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?

उत्तर: कथावाचक और हरिहर काका के बीच गहरा प्रेम और स्नेह था। हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे और उन्होंने कथावाचक को पिता के समान प्यार दिया था और बचपन में वह उन्हें अपने कंधे पर बैठाकर गॉंव में घुमाया करते थे। लेखक हरिहर काका से कुछ भी नहीं छिपाते थे। हरिहर काका और कथावाचक (लेखक) के बीच में बड़े ही मधुर एवं आत्मीय संबंध थे, यही कारण है कि दोनों में उमर का अंतर होते हुए भी मित्रता हो गई थी।

हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?

उत्तर: दोनों ही स्वार्थी थे और हरिहर काका की जमीन हड़पना चाहते थे इसी वजह से हरिहर काका को अपने भाइयों और महंत में कोई भी अंतर नहीं लगा। हरिहर काका की कोई संतान नहीं थी। उनके पास पंद्रह बीघे जमीन थी। उनके भाई उन्हें सिर्फ जमीन के लिए रख रहे थे। दूसरी ओर मंहत ने भी एक दिन बड़े प्यार से जमीन को ठाकुर बाड़ी के नाम करने के लिए कहा। जब काका नहीं माने तो एक दिन उनका अपहरण करके मारा पीटा और जबरदस्ती उनके अँगूठे का निशान ले लिया। यह बातें दर्शाती हैं की उन दोनों का लगाव काका से नहीं, उनकी जमीन से था।

ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?

उत्तर: ठाकुरबाड़ी के प्रति गाँव वालों के मन मे आपार श्रद्धा थी। उनका हर सुख दुःख उनसे जुड़ा हुआ था। क्योंकि गाँव के लोग भोले, अंधविश्वासी और धर्म को मानने वाले होते है, मंदिर उनके लिए एक पवित्र स्थान है। वे लोग पुजारी, मंहत जैसे लोगों पर अगाध श्रद्धा व विश्वास रखते है, चाहे वे कितने पतित, नीच और स्वार्थी ही क्यों न हो। वे अपनी हर सफलता का श्रेय ठाकुर जी को ही देते थे।

अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: काका हरिहर के सामने ऐसे बहुत से उदाहरण थे जिन्होंने किसी के बहकावे में आकर अपनी जमीन-जायदाद दूसरों के नाम कर दी, और वे उपेक्षा पूर्ण और कष्टमय जीवन जीने को मजबूर थे। हरिहर काका एक बात बिलकुल अच्छी तरह समझ चुके थे कि जायदाद हीन को इस गाँव में कोई नहीं पूछता है। ठाकुरबाड़ी के महंत मीठी-मीठी तथा चिकनी – चुपड़ी बातें इसलिए करते थे ताकि काका को बातों मे लेकर उनकी ज़मीन ठाकुरबाड़ी के नाम करा सकें। हरिहर काका अच्छी तरह जान चुके थे कि महंत और उनके भाई जो आदर – सम्मान और सुरक्षा दे रहे है उसका कारण घनिष्ठ और सगे भाई का संबंध न होकर जायदाद है।

हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बरताव किया?

उत्तर: हरिहर काका को जबरन उठा ले जानेवाले ठाकुरबारी के महंत के पक्षधर और ठाकुरबारी के साधु – संत थे। ये ठाकुरबाड़ी के तरफ से भेजे हुए आदमी थे। उन्होंने काका को कई बारअपनी जमीन जायदाद ठाकुरबाड़ी के नाम कर देने को कहा पर काका नहीं माने। इसलिए वे आधी रात को हथियारों के साथ आये और काका का अपहरण कर लिया। महंत और उनके लोगों ने हरिहर काका के साथ बहुत बुरी तरह व्यवहार किया। उन्होंने काका के हाथ पाँव बाँध दिए और मुँह में कपड़ा ठूसकर जबरदस्ती जमीन के कागज़ों पर अँगूठे के निशान लगवा लिया। उसके बाद उन्होंने काका को अनाज के गोदाम में बंद कर दिया।

हरिहर काका के मामले में गाँववालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?

उत्तर: हरिहर काका के गाँव में दो अलग श्रेणी थी। पहली श्रेणी मे ठाकुरबाड़ी के महंत और उसके कुछ साथी थे जिनका मानना था कि काका को आपनी जमीन जायदाद ठाकुरबारी के नाम करकर अपना नाम अमर कर लेना चाहिए और वे ऐसा धार्मिक कार्य करके उन्हें सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। दूसरे श्रेणी के लोग जो कि प्रगतिशील विचारो वाले किसान थे वे यह सोचते थे कि काका को अपनी जमीन अपने भाईयों के नाम कर देनी चाहिए क्योंकि काका के भाई किसान थे और वे जमीन का महत्त्व जानते थे और इससे उनके परिवार का पेट भरेगा।

कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।

उत्तर: पहले जब हरिहर काका को पूरी तरह ज्ञान नहीं था तब उस स्थिति में वह मृत्यु से डरते थे परंतु बाद में ज्ञान होने पर वे मृत्यु का वरण करने को तैयार हो जाते है। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा क्योंकि काका कहानी में दोनों ही प्रस्थितियों से गुजरते है। जब काका को ज्ञान हो जाता है तो उन्हें वे सब लोग याद आ जाते है जिन्होंने अपने परिवार के मोह में फँसकर मूर्खता पूर्ण अपनी जायदाद उनके नाम कर दी और बाद में वे तील – तील मरे। काका ने सोचा तील – तील करके मरने से अच्छा है कि लोग उन्हें एक ही बार मे ख़तम कर दें। महंत और उसके भाई उन्हें रोज़ाना डराते – धमकाते थे लेकिन उनकी धमकियों का काका पर किसी भी तरह का असर नहीं पड़ा। काका मौत को अपनाने को तैयार थे। काका सोचते हैं कि मृत्यु तो एक दिन होनी है। अतः मृत्यु से व्यर्थ ही क्या डरना है। हरिहर काका की इस मनोस्थिति के कारण लेखक ने उप्युक्त कथन कहा।

समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर: समाज में संबंध महत्वपूर्ण है। हम अदृश्य दरवाजे के संबंध में रहते हैं। क्योंकि जहां व्यक्ति एक दूसरे के दुख में काम करता है। लेकिन आज के समाज में, मनुष्य और परिवार धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। ज्यादातर लोग अपने स्वार्थ के साथ संबंध खेलते हैं। लोग अमीर लोगों का सम्मान करते हैं और गरीब लोगों को नफरत के साथ देखते हैं। एकमात्र स्वार्थ उपलब्धि का महत्व है। लोग पैसे कमाते हैं, भूमि संपत्ति के लिए हत्या, कम की तरह अपहरण करते हैं।

यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?

उत्तर: यदि हमारे घर के आस पास कोई हरिहर काका जैसी दशा में होता तो हम उसकी हर संभव मदद करेंगे। हम उसके परिवार के साथ हर तरह संबंध सुधारने व सम्बन्ध अच्छे करने की कोशिश करेंगे। उसके रिश्तेदारों को समझाएंगे कि उस व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार ना करें और  उसे प्यार सम्मान और अपनापन दें। यदि उसके साथ कुछ अन्याय होता है तो हम कोशिश करेंगे कि मीडिया भी सहयोग करें और पुलिस की मदद लेनी पड़ी तो हम पीछे नहीं हटेंगे और व्यक्ति को इंसाफ ज़रूर दिलवाएंगे।

हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: यदि हरिहर काका गांव में मीडिया पहुंचा है, तो स्थिति बिल्कुल विपरीत होगी। ऐसी स्थिति में, हरिहर काका को अपने भाइयों और ठाकबर्बरी के डर में रहना पड़ा और उन्हें दुर्भाग्य का अनुभव नहीं होगा। वह अपने भाइयों का शिकार नहीं होगा। समाचार पत्रों की क्रूरता के बारे में समाचार समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया था, यह उनके खिलाफ चलता है और हरथार काका की मदद करने के लिए, कई सामाजिक कार्यकर्ता और पुराने आश्रम ऑपरेटरों की मदद करने के लिए तैयार थे, जनता के कुछ लोगों ने उन्हें अपनाया और काका भत्ता प्रदान किया। इसलिए, यदि गांव में एक मीडिया था, हरिहर काका की आवाज मीडिया की आवाज़ बन गई, पुलिस ने तुरंत महंत और उनकी सहायता को पकड़ लिया और दाल पाने और हरिहर काका के लिए न्याय प्राप्त करने के लिए कैद किया गया।

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हरिहर काका कौन हैं?

हरिहर काका लेखक मिथिलेश्वेर के पड़ोसी तथा इस कथा के नायक हैं |

गाँव में ठाकुरबारी की स्थापना किसने की थी?

गाँव में ऐसा माना जाता था कि कहीं से कोई साधु आए और एक झोंपड़ी बनाकर वहीं पूजा-पाठ करने लगे |समय के साथ-साथ यह स्थान ठाकुरबारी के रूप में विख्यात हो गया |

स्वार्थ के लिए लोग क्याक्या करते हैं?

आज के ज़माने मे लोग स्वार्थ के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हैं |यहाँ तक की धार्मिक तथा सामाजिक संस्थाएँ,जो लोगों के कल्याण के लिए काम करतीं हैं, वे भी इससे अछूते नहीं रहें हैं|

वर्त्तमान समय में हरिहर काका जैसे लोगों को देखते हुए युवा पीढ़ी का क्या कर्तव्य होना चाहिए?

युवा पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह मन लगाकर यथासंभव ऐसे व्यक्तियों की सहायता करे |वृद्धों को उचित देखभाल तथा प्रेम भरे अपनेपन की जरुरत है |उन्हें मान-सम्मान देना तथा उनकी सेवा करना युवाओं का परम कर्तव्य होना चाहिए |

हरिहर काका को जबरन उठकर ले जाने वालों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया?

महंत के साथियों ने हरिहर काका को ज़बरदस्ती बहुत बार ज़मीन जायदाद ठाकुरबारी के नाम कर देने को कहा। मंहत ने अपने चेले साधु-संतो के साथ मिलकर उनके हाथ पैर बांध दिए, मुँह में कपड़ा ठूँस दिया और जबरदस्ती अँगूठे के निशान लिए, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। जब पुलिस आई तो स्वयं गुप्त दरवाज़े से भाग गए ।

हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?

कहानी के आधार पर गाँव के लोगों को यह पता चल जाता है कि हरिहर काका को उनके भाई नहीं पूछते। इसलिए सुख और आराम का लालच देकर महंत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करके काका को वापस ले आते हैं। इस तरह गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए कुछ लोग महंत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म के नाम पर ठाकुरबारी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले, मृत्यु के बाद मोक्ष,यश मिले। महंत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है, लेकिन दूसरे पक्ष के लोग कहते हैं कि ज़मीन परिवार वालों को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का पेट भरेगा तथा व सुख से जियेंगे। मंदिर के नाम ज़मीन कर देना परिवार वालों पर एक अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे, परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी था कि काका विधुर थे और उनकी एक भी संतान नहीं थी। पंद्रह बीघे ज़मीन के लिए महंत और उसके साथियों का लालची होना स्वाभाविक था।

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