यहाँ हमने Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi दिये है। Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।
Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति
कणों का निकाय
वे ठोस जिस पर बाहरी बल या दबाव लगाने पर उनकी आकृति में परिवर्तन (विकृति) नहीं होते ,दृढ़ पिण्ड कहलाते है।
- प्रकृति में कोई भी पदार्थ दृढ़ नहीं होता है।
- हम सामान्यतया ठोसों को ही दृढ़ पिण्ड के रूप में लेते है।
ठोस पिण्ड के लिए गति:-
- शुद्ध स्थानान्तरीय गति
- शुद्ध घूर्णन गति
- स्थानान्तरीय व घूर्णन गति
1. शुद्ध स्थानान्तरीय गति:-
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 1 शुद्ध स्थानान्तरीय गति](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-100837.webp)
- पिण्ड बिना लुढ़के गति करता है।
- पिण्ड के सभी कणों के पथ परस्पर समानान्तर होते है।
- सबका सरल रेखीय वेग एक समान होता है।
- कोणीय वेग शून्य होगा।
2. शुद्ध घूर्णन गति:-
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 2 शुद्ध घूर्णन गति](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-101414.webp)
अगर कोई ठोस पिण्ड किसी निश्चित अक्ष के प्रति घूर्णन गति करे तो ऐसी गति शुद्ध घूर्णन गति कहलाती है।
विशेषताएँ
- घूर्णन अक्ष सदैव नियत स्थिति में होता है।
- सभी कण घूर्णन अक्ष के चारों ओर वृताकार पथ पर गतिशील होते है।
- सभी कणों का कोणीय वेग एक समान होता है।
- सभी वृताकार पथों का केन्द्र घूर्णन अक्ष पर होता है।
- कण के द्रव्यमान व पथ की त्रिज्या का गुणनफल:- द्रव्यमान आघूर्ण (mr)
- सभी कणों के द्रव्यमान आघूर्ण का योग घूर्णन अक्ष के प्रति शून्य होता है अगर घूर्णन अक्ष द्रव्यमान केन्द्र से गुजरे।
द्रव्यमान केन्द्र (Centre of Mass/CM)
- किसी भी पिण्ड के लिए वह विशेष बिन्दु जहाँ पर सम्पूर्ण पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्रित हो, द्रव्यमान केन्द्र कहलाता है।
- द्विकणीय निकाय के लिय द्रव्यमान केंद्र के निर्देशांक:- xi + yj + zk = xi + yj + zk
- n कणों से बने निकाय के द्रव्यमान बिन्दु के लिय Rcm व निर्देशांक ज्ञात करने के सूत्र
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 3 द्रव्यमान केन्द्र](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/mass-formula-1.webp)
द्रव्यमान केंद्र (CM) के लिय वेग
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 4 द्रव्यमान केंद्र (CM) के लिय वेग](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/center-of-mass-velocity-1.webp)
संवेग
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 5 संवेग](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/momentum-4-3.webp)
निकाय का संवेग निकाय के कणों के संवेगो के सदिश योग के तुल्य होता है।
निकाय पर कार्यरत कुल बल
न्यूटन के द्वितीय नियमानुसार किसी भी पिंड पर कार्यरत परिणामी बल पिंड के संवेग मे परिवर्तन की दर के बराबर होता है।
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 6 निकाय पर कार्यरत कुल बल](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/net-force-1.webp)
इस प्रकार हम कह सकते है निकाय पर कार्यरत कुल बल का मान निकाय के कणो पर लगने वाले बलों के सदिश योग के बराबर होता है।
यदि निकाय पर कार्यरत नेट या कुल या परिणामी बल का मान शून्य हो तो-
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 7 निकाय पर कार्यरत कुल बल](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/momentum-4-5.webp)
इस प्रकार हम कह सकते है की बाहय बलों की अनुपस्थिती मे निकाय के कणो का कुल संवेग नियत रहता है, इसे संवेग संरक्षण नियम कहते है।
घूर्णन गति से सम्बन्धित पद
- कोणीय स्थिति “o”:- घूर्णन गति में किसी पिण्ड “m” की घूर्णन त्रिज्या द्वारा किसी निश्चित समय में प्रारम्भिक रेखा के साथ निर्मित कोण, कोणीय स्थिति कहलाता है।
- कोणीय विस्थापन:- कोणीय स्थिति मे परिवर्तन कोणीय विस्थापन कहलाता है।
- कोणीय वेग “w”:- घूर्णन गति में किसी पिण्ड के लिए कोणीय विस्थापन व विस्थापन में लगे समय का अनुपात कोणीय वेग कहलाता है।
कोणीय वेग के प्रकार
- औसत कोणीय वेग:- अगर कण की कोणीय स्थिति θ1(t1) व θ2(t2) हो तो औसत कोणीय वेग होगा
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 8 average velocity](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/average-velocity.webp)
तातक्ष्णिक कोणीय वेग:- घूर्णन गति में किसी पिण्ड का किसी विशेष क्षण पर कोणीय “वेग, तात्क्षणिक कोणीय वेग कहलाता है।
\(\overset{\mbox{This?}}{\longrightarrow}\)
कोणीय त्वरण:- कोणीय वेग और कोणीय वेग मे परिवर्तन का अनुपात, कोणीय त्वरण कहलाता है।
कोणीय त्वरण के प्रकार:-
औसत कोणीय त्वरण:- अगर कण की कोणीय स्थिति θ1 (t1) व θ2 (t2) हो तो औसत कोणीय त्वरण होगा
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 9 औसत कोणीय त्वरण](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/average-accelaration.webp)
तातक्ष्णिक कोणीय त्वरण
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 10 तातक्ष्णिक कोणीय त्वरण](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/accelartion.webp)
रेखीय वेग:- V= ωr
सदिश संकेतन मे:-
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 11 सदिश संकेतन](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/vector.webp)
सदिश निरूपण से सिद्ध होता है कि रेखीय वेग की दिशा सदैव उस तल के लम्बवत होगी जिस तल में कोणीय वेग व स्थितिज सदिश मौजूद हो ।
यहाँ V और ω परस्पर सदैव लम्बवत होंगे। अर्थात् रेखीय वेग (V) व कोणीय वेग (W) के बीच का कोण 90° होता है।
रेखीय व कोणीय त्वरण में सम्बन्ध
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 12 रेखीय व कोणीय त्वरण में सम्बन्ध](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/angular-velocity.webp)
\(\overset{\mbox{This?}}{\longrightarrow}\)
जड़त्व आघूर्ण
- जिस प्रकार रेखीय / स्थानान्तरीय गति में जड़त्व का महत्व होता है। ठीक उसी प्रकार घूर्णन गति में जड़त्व आघूर्ण का महत्व होता है।
- जड़त्व = M
- जड़त्व आघूर्ण (I) = Mr2
- घूर्णन गति के दौरान पिंड पर जब कोई स्थिति परिवर्तक कारक (बल) का विरोध करने वाला गुण (आंतरिक) जड़त्व आघूर्ण कहलाता है।
- इसका मान कण के द्रव्यमान एवं कण की घूर्णन अक्ष से दूरी के वर्ग के गुणनफल के तुल्य होता है।
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 13 जड़त्व आघूर्ण](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-103416.webp)
m कण का जड़त्व आघूर्ण होगा, I = mr2
किसी निकाय का जड़त्व आघूर्ण निकाय के सम्पूर्ण कणों के जड़त्व आघूर्णो के योग के बराबर होता है।
n कणों वाले निकाय का जड़त्व आघूर्ण:-
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 14 n कणों वाले निकाय का जड़त्व आघूर्ण:-](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-144044.webp)
\(I=\int r^2 dm\)
घूर्णन त्रिज्या (K)
घूर्णन अक्ष से वह दूरी जिसके वर्ग को पिंड के सम्पूर्ण द्रव्यमान से गुणा करने पर पिंड का जड़त्व आघूर्ण प्राप्त हो जाए, पिंड की घूर्णन त्रिज्या (K) कहलाती है।
\(k=\sqrt{\frac{I}{M}}\)
R त्रिज्या व M द्रव्यमानू वाली डिस्क (चकती ) का गुरुत्व केन्द्र (द्रव्यमान केन्द्र) में से गुजरने वाला तथा डिस्क तल के लम्बवत अक्ष के प्रति डिस्क का जड़त्व आघूर्ण, I=\(\frac{1}{2}MR^2\)
लंबवत् अक्षों का प्रमेय:- यह प्रमेय उन पिंडों के लिए लागू होता है जो तल के रूप में हो जैसे:- रिंग (वलय ) व डिस्क, आयत, वर्ग, त्रिभुज ।
कथन
किसी पटल के लिए तल में स्थित परस्पर दो लम्बवर अक्षों के प्रति जड़त्व आघूर्णों का योग तल के लंबवत् व अभिष्ठ अक्षों के कटान बिन्दू से गुजरने वाले अक्ष के प्रति जड़त्व आघूर्ण के तुल्य होता है। “
(ii) समान्तर अक्षों का प्रमेय:-
कथन
किसी पिण्ड/निकाय के किसी भी अक्ष के प्रति जड़त्व आघूर्ण का मान, द्रव्यमान केन्द्र (गुरुत्व केन्द्र) में से पारित व अभीष्ठ अक्ष के समान्तर अक्ष के प्रति जड़त्व आघूर्ण (IG) तथा पिण्ड के द्रव्यमान व समान्तर अक्षों के बीच की दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के तुल्य होता है। “
यानी I = IG + MR2
पिण्ड / वस्तु की सन्तुलनावस्था (साम्यावस्था)
कोई भी वस्तु पूर्णत: सन्तुलन अवस्था में तब कहलाती है जब वस्तु के लिए बाह्य बलों एवं बलाघूर्णो का सदिश योग शून्य हो । अर्थात् ये दोनों अनुपस्थित हो।
अत: पिण्ड की पूर्णत: संतुलन अवस्था हेतु –
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 15 साम्यावस्था](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-152001.webp)
रेखीय गति (स्थानांतरिय) व घूर्णन गति (कोणीय) में तुलना
![Class 11 Physics Chapter 7 Notes in Hindi कणों के निकाय तथा घूर्णी गति 16 घूर्णन गति](https://readaxis.com/wp-content/uploads/2023/08/Screenshot-2023-08-13-152403-1.webp)
क्र.सं. | विवरण | स्थानान्तरीय गति | घूर्णन गति |
---|---|---|---|
1 | स्थिति | स्थिति हेतु आवश्यक स्थितिज सदिश -> रेखीय स्थिति(r)जहाँ r =xi+yj+zk | स्थिति हेतु आवश्यक स्थितिज सदिश -> x-अक्ष के साथ बना कोण (θ) |
2 | विस्थापन | रेखीय स्थिति (स्थितिज सदिश) में परिवर्तन – (Δr) जहाँ Δr = r2-r1 | कोणीय स्थिति में परिवर्तन (Δθ)जहाँ Δθ = θ2 – θ1 |
3 | वेग | औसत वेग = Δr/Δtतात्क्षणिक वेग v =Δt –> Δr/Δt= dr/dt | औसत कोणीय वेग = Δθ/Δt तात्क्षणिक कोणीय वेग w =Δt –> Δθ/ΔtW = dθ/dt |
4 | त्वरण | औसत रेखीय त्वरण =तात्क्षणिक रेखीय त्वरण = | औसत कोणीय त्वरणतात्क्षणिक कोणीय त्वरण |
5 | परिवर्तन कारक | बल = रेखीय संवेग में परिवर्तन की दर | बलाघूर्ण = कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर dJ/dt =dIw/dt=Idw/dt = I ∝ =rF |
6 | संवेग | रेखीय संवेग = द्रव्यमान x वेग में परिवर्तनp = mv | कोणीय संवेग = आघूर्ण भुजा x रेखीय संवेगJ=rp=Iw |
7 | द्रव्यमान | m-> जड़त्व | I -> जड़त्व आघूर्ण |
8 | कार्य(w) | कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन (रेखीय)w = F(dcosθ)w = | |
9 | शक्ति (P) | औसत शक्ति = Δw/Δt तात्क्षणिक शक्ति = dw/dt | |
10 | न्यूटन गति समीकरण | v = u+ats = ut+ 1/2at2v2 = u2+2as | w = w0+αtθ = w0t + 1/2αt2w2 = w02 + 2αθ |
11 | nवें सेकण्ड में तय दूरी | Sn = u+ 1/2a(2n-1) | θn = w0 + 1/2α(2n-1) |
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