Class 11 Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi तत्वों का वर्गीकरण एवं आवर्तिता

यहाँ हमने Class 11 Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi दिये है। Class 11 Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।

Class 11 Chemistry Chapter 3 Notes in Hindi तत्वों का वर्गीकरण एवं आवर्तिता

तत्वों का सरल एवं क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित करने में कुछ वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इनमें “डोवेराइनर, न्यूलैण्ड तथा मैण्डेलीफ” प्रमुख हैं।

डोवेराइनर का त्रिक सिद्धान्त

डोवेराइनर ने तीन-तीन तत्वों के समूह बनाये और बताया कि पहले व तीसरे तत्व के परमाणु भारों का औसत दूसरे तत्व के परमाणु भार के बराबर होता है। इसे डोवेराइनर का त्रिक सिद्धान्त कहते हैं।

जैसै Ba137, Sr88, za40

डोवेराइनर सभी तत्वों के त्रिक सिद्धान्त नहीं बना सकें इसलिए असफल सिद्ध हुए।

न्यूलैण्ड का अष्टक नियम

  • न्यूलैण्ड ने बताया कोई भी तत्व अपने संगत आठवें तत्व से गुण में समानता रखता है इसे न्यूलैण्ड का अष्टक नियम कहते हैं। 
  • यह सिद्धान्त सभी तत्वों में लागू नहीं हो सका इसलिए न्यूलैण्ड का अष्टक नियम असफल हो गया ।
  •  तत्वों के भौतिक या रासायनिक गुणों में एक नियमित अन्तर पर पुनरावृत्ति होती है।

मेण्डलीफ का आवर्त नियम

तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।

आवर्त के गुण

 सारणी के क्षैतिज खानों को आवर्त कहते हैं।

 इनकी संख्या 7 है। पहले दूसरे तथा तीसरे आवर्त में तत्व के संख्या कम होने के आधार पर इन्हें लघु आवर्त कहते हैं। चौथे, पाँचवे तथा छठवे आवर्त में तत्वों की संख्या अधिक होने के आधार पर इन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं। तथा साँतवे आवर्त को अधूरा आवर्त कहते हैं।

विद्युत धनात्मक प्रकृति

किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकलने की प्रकृति को विद्युत धनात्मक प्रकृति कहते हैं। एक ही आवर्त में आने वाले तत्वों की विद्युत धनात्मक प्रकृति क्रमशः घटती है। 

जैसे:- Li Be B C N O F 

विद्युत ऋणात्मक प्रकृति

  • किसी भी परमाणू की बाहरी कक्षा मे इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रकृति को विद्युत ऋणात्मक प्रकृति कहते हैं।
  • एकही आवर्त में आने वाली तत्वों की विद्युत ऋणात्मक प्रकृति क्रमश: बढ़ती है।
  • जैसे:- Na Mg  Al  Si  P  S  Cl की विद्युत ऋणात्मकता क्रमशः बढ़ती है।

आयनन विभव 

  • किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकलने में व्यय ऊर्जा को आयनन विभव कहते है।
  • एकही आवर्त में आने वाले तत्वों की आयनन विभव क्रमशः बढ़ता है।

प्र.1.  चार तत्व A,B,C,D जिनके परमाणु क्रमांक 6, 7, 8, 9 है। इनका आयनन बढ़ते क्रम में बताओ।

Answer:- 6A<6C<7B<9D

प्र.2.  चार तत्व A, B, C, D जिनके क्रमांक 3, 4, 5, 6 है। इनके आयनन विभव बढ़ते क्रम में बताओ

Answer:- 3A<5C<4B<6D

इलेक्ट्रॉन बन्धुता 

किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से निर्युक्त ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन बन्धुता कहते हैं। एक ही आवर्त में आने वाले तत्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता क्रमशः बढ़ती है।

जैसे:- Li  Be  B  C  N O F -> इलेक्ट्रॉन बन्धुता बढ़ती है।

परमाणु त्रिज्या

  • किसी भी परमाणु के नाभिक से बाहरी कक्षा तक की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं।
  • एकही आवर्त में आने वाले तत्वों की परमाणु त्रिज्या क्रमशः घटती है। 

विकर्ण समानता 

II आवर्त के तत्व III आवर्त के तत्वों से अगले वर्ग में गुणों में समानता रखते हैं। इसे विकर्ण समानता कहते हैं। 

संयोजकता

किसी भी आवर्त में संयोजकता ऑक्सीजन के सापेक्ष 1 से 7 तक बढ़ती है और हाइड्रोजन के सापेक्ष 1 से 4 तक तक बढ़ती है फिर 3 से 1 तक घटती है।

धात्विक गुण

किसी भी आवर्त में धात्विक गुण क्रमशः घटता है।

वर्गों के गुण

1.विद्युत धनात्मक प्रकृति

  • किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकलने की प्रकृति को विद्युत धनात्मक प्रकृति कहते हैं।
  • एकही वर्ग में आने वाले तत्वों की विद्युत धनात्मक प्रकृति क्रमश: बढ़ती है। 

2. विद्युत ऋणात्मक प्रकृति 

  • किसी भी परमाणू की बाहरी कक्षा से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रकृति को विद्युत ऋणात्मक प्रकृति कहते हैं।
  • एक ही वर्ग में आने वाले तत्वों की विद्युत ऋणात्मकता प्रकृति क्रमशः घटती है।

आयनन विभव

  • किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा से इलेक्ट्रॉन निकलने में व्यय ऊर्जा को आयनन विभव कहते हैं।
  • एकही वर्ग में आने वाले तत्वों का आयतन विभव क्रमशः घटता है।

इलेक्ट्रॉन बन्धुता

  • किसी भी परमाणु की बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से निमुक्त ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन बन्धुता कहते हैं।
  • एक ही वर्ग में आने वाले तत्वों की इलेक्ट्रॉन बन्धुता क्रमश: घटती है।

परमाणु त्रिज्या

  • किसी भी परमाणु के नाभिक से बाहरी कक्षा तक की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं।
  • एक ही आवर्त में आने वाले तत्वों की परमाणु त्रिज्या क्रमशः घटती है। 

संयोजकता

किसी भी तत्व की संयोजकता उसकी वर्ग संख्या होती है। जैसै IA के वर्ग तत्वों की संयोजकता 1 होती है।

धात्विक गुण

किसी भी वर्ग में आने वाले तत्वों का धात्विक गुण क्रमशः बढ़ता है।

आवर्त सारणी के दोष

  1. हाइड्रोजन को आवर्त सारणी में दो जगह IA व VIIA में रखा गया है।
  2. समान गुणों वाले तत्वों को अलग-अलग व आसमान गुणों वाले तत्वों को एकसाथ रखा गया है।
  3. अधिक परमाणु भार वाले तत्व को कम परमाणु भार वाले तत्व से पहले रखा गया है। 
  4. IIB समूह के VI व VII आवर्त में 14-14 तत्त्वों को रखा गया है।
  5. समस्थानकों को स्थान नहीं दिया गया।

दोषों के निवारण( आधुनिक आवर्त नियम)

तत्वों के  भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमा़कों के आवर्ती फलन होते हैं।

  1. हाइड्रोजन 1 इलेक्ट्रॉन निकलकर धन ऑयन बनाता है। इसलिए इसे IA समूह में रखा गया और हाइड्रोजन 1 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋण आयन बनाता है। इसलिए इसे VII A समूह में रखा गया है।
  2. IA व IB समूह के तत्वों की बाहरी कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन व IIB समूह के तत्वों के बाहरी कक्षा में 2 इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। इसलिए IA व IB को साथ-साथ व IIB की अलग रखा गया है। 
  3. परमाणु क्रमांक के आधार पर तत्वों को सही रखा गया है।
  4. 57 = 2, 0, 16, 18, 9,2 चौथी कक्षा में 32 पूरा करने के लिए 14 इलेक्ट्रॉन आवश्यकता होती है इसलिए 14 तत्वों को एकसाथ रखा गया है।
  5. समस्थानकों परमाणु क्रमांक समान होते हैं। इसलिए इन्हें अलग अलग स्थान नहीं दिया गया है।

बिना आवर्त सारणी देखे तत्वों का आवर्त सारणी में स्थान का निर्धारण

  1. तत्व का परमाणु क्रमांक लिखकर इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखते हैं।
  2. कक्षाओं की संख्या आवर्त संख्या कहलाती है। 
  3. वर्ग ज्ञात करने के लिए अन्तिम दो कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन जोड़कर थीटा घटाते हैं।
    • यदि 1 से 7 तक शेष बचता है तो यही वर्ग संख्या होती है 
    • थीटा,9,10 शेष बचता है थीटा वहां वर्ग होता है।
    • 10 से अधिक शेष बचने पर ईकाई का अंक वर्ग संख्या होता है।
  4. तत्वों  की सभी कक्षायें पूरी होने पर शून्य वर्ग होता है। 
  5. यदि अन्त में q उपकक्षा आती है। तो B उपवर्ग और S व p  उपकक्षा के लिए A उपवर्ग होता है।

दीर्घ आवर्त सारणी

  • f block=अंत: संक्रमण तत्व
  • 50 -71 तक लेन्थेनाइड श्रेणी/ब्रोडी
  • 90-103 तक एक्टोनाइट श्रेणी/ ब्रोडी 

S Block तत्वों के गुण (सामान्य तत्व)

  1. 1st A तथा IInd A  के समूह के तत्वों को  S-Block तत्व कहते हैं। क्योंकि इनकी बाहरी कक्षा की S उपकक्षा अधूरी होती है।
  2. इनकी बाहरी कक्षा का इलेक्ट्रॉन विन्यास Ns1 से Ns2 तक होता है‌।
  3. सभी तत्व स्थायी संयोजकता 1 व 2 देते हैं। 
  4. Ist A समूह के तत्वों को क्षारीय धातुएं और IIndA समूह के तत्वों को क्षारीय मृदा धातुये कहते हैं क्योंकि ये तत्व धूल में प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
  5. सभी तत्व विद्युत संयोजी यौगिक बनातें हैं।
  6. ये यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं और पानी में घुलकर आयनों में विभक्त हो जाते हैं।
  7. इन तत्वों को सामान्य तत्व भी कहते हैं।

P block तत्वों के गुण

III A से होकर VII A तथा O समूह के तत्वों को p block तत्व कहते हैं। क्योंकि इनकी बाहरी कक्षा की P उपकक्षा अधूरी होती है।

  1. इनकी बाहरी कक्षा का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास NS2P1 से NS2P6 तक होता है।
  2. सभी तत्व परिवर्ती संयोजकता देते हैं,जो कि निश्क्रीय युग्म का सक्रीय होने के कारण होती है।
  3. III A को छोड़कर अन्य सभी वर्गों में ऊपर अधातुएं और नीचे धातुएं हैं।
  4. अधातुये सहसंयोजी यौगिक और धातुएं विद्दुत संयोजी यौगिक बनाती है।
  5. सहसंयोजी पानी में अघुलनशील तथा विद्युत संयोजी यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं।
  6. इन तत्त्वों को निरुपित तत्व भी कहते हैं।

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D Block तत्वों के गुण (संक्रमण तत्व)

  1. III B से VII B, VIII तथा IB तथा  IIB को d block तत्व कहते हैं।
  2. इनकी बाहरी दो कक्षाओं का इलेक्ट्रानिक विन्यास (n-1)S2p6d2ns2 से (n-1)s2p6d10, ns2 तत्त्व होते हैं।
  3. सभी तत्व परिवर्ती संयोजकता देते हैं जो कि कोर के इलेक्ट्रॉन की संयोजकता में भाग लेने से होती है।
  4. सभी तत्व के आयन अनुचुम्बकीय होते हैं।
  5. सभी तत्वों के आयन रंगीन होते हैं।
  6. सभी तत्व उत्प्रेरिकीय गुण देते हैं।
  7. इन तत्वों को संक्रमण तत्व भी कहते हैं।

F- Block तत्वों के गुण 

  1. III B समूह के VI व vII आवर्ती में आने वाले 14-14 तत्वों को F-Block तत्व कहते हैं क्योंकि इनकी बाहरी कक्षा की f उपकक्षा अधूरी होती है।
  2. इनकी बाहरी तीन कक्षाओं का इलेक्ट्रानिक विन्यास (n-2)s2p6d10f14, (n-1)s2p6d10,ns2 से (n-2)p6d10f14,(n-1)s2p6d10,ns2 तक होता है‌।
  3. सभी तत्त्व परिवर्ती संयोजकता देते हैं। जोकि कोर के इलेक्ट्रॉन की संयोजकता में भाग लेने से होती है।
  4. सभी तत्व उपसहसंयोजी यौगिक बनातें हैं।
  5. उपसहसंयोजी यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं।
  6. परमाणु क्रमांक 50 -71 तक के 14 तत्वों को लेन्थेनाइड श्रेणी या दुर्लभ मृदा तत्व कहते हैं और परमाणु क्रमांक 90-103 तक के 14 तत्वों को एक्टीनाइड श्रेणी या परायूरेनियम तत्व कहते हैं।
  7. इन तत्वों को अन्त संक्रमण तत्व भी कहते हैं।

प्र.1. प्रवर्धित आवर्त सारणी क्या है इसके लक्ष्मण बताओं?

उत्तर:- दीर्घ आवर्त सारणी को प्रवर्धित आवर्त सारणी कहते हैं। इसमें 10 ऊध्वार्धर खाने पाये जाते हैं तथा 16 वर्ग पाये जाते हैं। S block प्रारम्भ मे p block अंत में d- block मध्य में पाया जाता है तथा s block को सारणी के नीचे अलग बनाया गया है।

 लक्षण 

  1. यह सारणी परमाणु क्रमांक के आधार पर बनाई गई है। 
  2. इस सारणी में समभारिकों को स्थान नहीं दिया गया है। 
  3. इस सारणी 4 ब्लॉकों (S, P,d,f) में ‘बाटा गया है। 
  4. s- Block के 14-14 तत्वों को सारणी से अलग नीचे रखा गया है।

परमाणु क्रमांक 100 से ऊपर वाले तत्वों का नामकरण

परमाणु क्रमांक 100 से अधिक के लिए अंकों के Rootward क्रम से लिखकर अन्त में ium लगा देते हैं।

  • 0 – nil
  • 1- un
  • 2- bi
  • 3 – tri
  • 4 – guad
  • 5 – pent
  • 6 – hex
  • 7 – sep
  • 8 – oct
  • 9 – num

प्रारूपी या प्रतिनिधि हल

III आवर्त के तत्वों को प्रारूपी या प्रतिनिधि तत्व कहते हैं क्योंकि ये तत्व अपने-अपने वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जैसे III आवर्त = Na, Mg, Ae, Si, P, S, Cl, Ar

 सेतु (Boridge) तत्व

 III आवर्त का तत्व जो अपने दोनों उपवर्गों से गुणों में समानता रखता है, सेतु या ब्रिज तत्व कहलाता है।

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