Class 10 Hindi Chapter 10 Sparsh Solution- बड़े भाई साहब

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1. कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?

उत्तर:- कथा नायक की रुचि कंकरियाँ उछालने, कागज की तितलियाँ बनाने , मैदान में खेलने में , फुटबॉल में , कबड्डी , बॉलीबॉल में , चारिदवारी पर चढ़कर कूदने में, पतंग उड़ाने, खेल कूद  में आदि कार्यों में थी।

प्रश्न 2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

उत्तर:- बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यह पूछते थे की ‘कहाँ थे?’।

प्रश्न 3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर:- दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया की उसके मन में अपने बड़े भाई के प्रति दया भावना आई। पर फिर भी उसने बड़े भाई की सहनशीलता का लाभ उठाया और खेल खुद में ज्यादा समय बिताया एवं पड़ना बंद कर दिया। उसके मन में धरना बन गई थी की वो पढ़े या न पढ़े पास हो ही जाएगा।

प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?

उत्तर:- बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में 5 साल बड़े थे और वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?

उत्तर:- बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी वह कॉपी और किताबो की हाशियों पर चिड़िया, कुत्तो और बिल्लियों की तस्वीरें बनाते थे तो कभी एक ही वाक्य या शब्द या नाम दस-बिड बार लिख देते थे। कभी शेर का बार-बार सुन्दर अक्षरों में नक़ल करते तो कभी ऐसी शब्द रचना करते जिसका कोई अर्थ नहीं।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?

उत्तर:- छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय इरादा करते है की वो खूब मन लगाकर पड़े करेगा।  अपने टाइम-टेबल में खेल कूद का कोई जिक्र नहीं होता। परन्तु टाइम-टेबिल बनाना और उस पर अमल करना दो अलग बात है। उसका पालन नहीं हो पाया क्योकि प्रथम दिन ही उसकी अवहेलना मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती से शुरू हो गई थी और वह मैदान में जाकर सब कुछ भूल गया था।

प्रश्न 2. एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर:- एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उन्होंने उसे फटकारते हुए कहा की एक बार अव्वल आने से घमंड मत करो , घमंड तो रावण जैसे शक्तिशाली को भी ले डूबा था। बड़े भाई ने आगे ओर दांते हुए कहा की अगर इसी प्रकार खेल-कूद करना है तो घर चले जाओ और दादा के पैसे को व्यर्थ मत करो।

प्रश्न 3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?

उत्तर:- बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं क्योकि वे बड़े थे। वो अपने छोटे भाई पर एक सकारात्मक प्रभाव डालकर उसके लिए आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे। बड़े बही के नाते वह यह अपना कर्तव्य मानते थे की वे अपने भाई को अनुशासन में रखे इसलिए उन्हें भी अनुशासित  रहना होगा।

प्रश्न 4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?

उत्तर:- बड़े भाई साहब छोटे भाई को पड़े के लिए परिश्रम करने की सलाह देते थे। अव्वल आजाने पर घमंड न करना , ज्यादा समय खेल-कूद में न बिताना की सलाह वह अपने बड़े भाई  को देते थे क्योकि वह उससे पांच साल बड़े थे और उन्हें जिंदगी का तजुर्बा था इसलिए वे उसे पड़े का महत्तव समझा रहे थे।

प्रश्न 5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?

उत्तर:- छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित  लाभ उठाते हुए पड़ना लिखना बंद कर दिया था और पूरा समय खेल कूद में व्यतीत करना शुरू कर दिया यह सोच कर की उसका नसीब बलवान है और वो पढ़े या न पढ़े परन्तु पास हो ही जाएगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1. बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर:- मेरे विचार के अनुसार अगर बड़े भाई की डाँट-फटकार छोटा भाई को न मिलती तो वो शायद कभी कक्षा में अव्वल नहीं आता। ऐसा इसलिए क्योकि जब बड़े भाई फ़ैल हो गए थे और छोटा भाई पास तब उन्होंने उसे डांटना काम कर दिया था जिससे छोटे भाई की रूचि खेल कूद में और बढ़ गई थी और उसने पड़ना बंद कर दिया था। यह तो निश्चित ही है अगर कोई पढ़े ही नहीं तो वह अव्वल कैसे आएगा। उनकी दांत-फटकार से ही वे एक-दो घंटे पड़ने बैठता था।

प्रश्न 2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

उत्तर:- इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के कई तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है। जैसे परीक्षा में केवल किताब में लिखा है उससे तुलना कर उत्तर को सही या गलत ठहराया है। समय की पाबन्दी कर एक वाक्य में समझने वाली बात को चार पन्नो में लिखने का कहा जाता है। आंकड़ों को बच्चो की काबिलयता से ज्यादा महत्व दिया जाता है। बुद्धि के विकास की ओर ध्यान न देते हुए विद्यार्ति के पास होने पर जोर देना। लेखक ने समूची शिक्षा के यह तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है जिससे मै सहमत हु।

प्रश्न 3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

उत्तर:- बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ तजुरबे से आती है। जो ज्ञान पढ़ लिखने से प्राप्त होता है वह सिमित ही है। बड़े भाई साहब अपने माता पिता का उदहारण देते हुए बताते है की भले ही उन्हें किताबी ज्ञान न हो पर उनका जीवन का अनुभव उन्हें सारी परीक्षाएं पार करने में समर्थ है। जीवन को समझने ओर उचित रूप से जीने के लिए पुस्तक के गायन और जीवन के अनुभव दो ही अनिवार्य है।

प्रश्न 4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

उत्तर:-  छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा इसलिए उत्पन्न हुई क्योकि वह उनकी नयी युक्ति से नत-मस्तक हो गया था और उसे अपनी लघुता का अनुभव हो गया था। बड़े भाई ने उसे जीवन के अनुभवों का महत्त्व बताया था और पुस्तक के ज्ञान की सिमा बताई थी। अपनी इच्छाओं को उन्होंने दबा दिया था ताकि वे अपने छोटे भाई के लिए एक आदर्श उदहारण प्रस्तुत कर सके।

प्रश्न 5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

उत्तर:- बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • बड़े भाई स्वभाव से अध्ययशील थे।
  • वह अपने छोटे भाई को राह दिखते थे क्योकि वह इसे अपना कर्त्तव्य समझते थे।
  • बड़ा भाई अनुशसित था।
  • अपने मन को आराम देने के लिए किताब और कॉपी पर चित्रकारी करता था।
  • बड़ा भाई परिश्रमी विद्यार्थी थे।
  • बड़ा भाई के लिए ज्ञान को बुद्धि के विकास के लिए उपयोग करना चाहते थे न की रटने के लिए।
  • अपने माता पिता के प्रति उनके मन में सम्मान था।
प्रश्न 6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?

उत्तर:- बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहा है। उनके लिए पुस्तक का ज्ञान सिमित है। परीक्षा में भी बुद्धि के विकास का नहीं बल्कि विद्यार्थी के रटने का इम्तेहान लिया जाता है। असल जिंदगी में अनुभव का बड़ा महत्त्व होता है। जो काम । म ऐ हेडमास्टर पढ़कर भी नहीं कर पाए और असफल रहे वही काम उनकी बूढ़ी माँ ने अपने तजुरबे के तोर पे किया। 

प्रश्न 7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि-
  1. छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
  2. भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
  3. भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
  4. भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

उत्तर-

1. छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है यह तब पता चलता है जब छोटा भाई बताता है की बड़े भाई का उसकी निगरानी और तम्बीह का पूरा अधिकार है और उसकी सलामती उनके दिए गए निर्देशों का पालन करने में है।

2. भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है यह इस अंश से पता चलता है जहा वह जीवन के अनुभव को किताबी ज्ञान से ऊपर बत्ती है।  वो अपने छोटे भाई को कहते है में उम्र में तुमसे बड़ा हु भले ही में कई बार फ़ैल हुआ पर जीवन का अनुभव मुझे तुमसे हमेशा ज्यादा ही रहेगा। वह अपने दादा का उदहारण देकर समझते है की अगर उनकी तबियत ख़राब हो जाती है तो उनका छोटा भाई शायद उनकी देख रेख ठीक तरीके से न कर पाए और घबरा जाये पर वही अगर दादा होते तो वो पहले खुद के अनुभव से प्रयास करते और फिर भी ठीक न होने पर डॉक्टर को दिखाते। हेडमास्टर के बारे में बताते हुए कहा की उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड से म ऐ किया है पर आज भी उनके घर का लेखा झोका उनकी माँ देखती है।

3. भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है इस बात का पता उनकी इच्छाओं दबाने वाली बात से पता चलता है। वे अपने छोटे भाई को अनुशासन में रखना चाहते है इसलिए वे खुद भी अनुशासन में रहते थे। जब उन्होंने अपने छोटे भाई को समझने के बाद उनके सर से पतन जा रही थी तो उन्होंने ऊँचा उठकर उसे पकड़ लिया और बाकी के साथ खुद भी दौड़ने लगे।

4. भाई साहब समय-समय पर छोटे भाई को सलाह देते है।  उसे पड़े करने के लिए फटकार लगते है। जीवन के अनुभव का महत्त्व बताते है। अपने छोटे भाई के खुद से आगे निकल जाने पर भी उसे जीवन का ज्ञान देना अपना कर्त्तव्य समझते है। इन बातो से पता चलता है की भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1. इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय है कि की किसी परीक्षा को रट कर पास करने से बुद्धि का विकास नहीं होता है। बुद्धि के विकास के लिए ज्ञान को समझना होता है और उसे अमल करना होता है। साथी जीवन के अनुभवों का महत्त्व भी समझना जरुरी है।

प्रश्न 2. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था।

उत्तर:- इन पंक्ति में लेखक अपने खेल कूद के मोह को बता रहे है। वो कह रहे है की जैसे मनुष्य विपदा में भी मोह माया ढूंढ लेता है वैसे ही मै भी दांत-फटकार के बाद भी खेलकूद की और खिंचा जाता हु।

प्रश्न 3. बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने ?

उत्तर:- इस पंक्ति मै यह बताया है की जैसे किसी घर को बनने के लिए उसकी जो बुनियाद है वो पुख्ता यानि मजबूत होनी चाहिए अन्यथा वह घर बन ही नै पाएगा। जैसे घर बनने में बुनियाद या मह्त्व है वैसे ही जीवन में शिक्षा का महत्व है। एक अच्छी शिक्षा एक अच्छे जीवन को स्वरुप दे सकती है।

प्रश्न 4. आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो बंद राति से आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्करण ग्रहण करने जा रही हो।

उत्तर:- छोटा भाई पतंग को लूटने के लिए आकाश में उसे देख रहा था। आसमान में उड़ती पतंग उसे किसी दिव्या आत्मा की तरह दिखाई दे रही थी। वह कटी हुई पतंग को पाने में इतना खुश हो रहा था जैसे की पतंग रूपी दिव्या आत्मा स्वर्ग से आई हो।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब

उत्तर –

  • नसीहत – शिक्षा, सीख, उपदेश, सबक,सलाह
  • रोष – क्रोध, गुस्सा, क्षोभ,कोप, आक्रोश, प्रतिघात
  • आज़ादी – स्वतंत्रता, स्वच्छंदता, स्वाधीनता, मुक्ति
  • राजा – नृप,नरेश, प्रजापालके, महीपति, अवनीश, नरपति, नरेन्द्र, महिपाल
  • ताज्जुब – आश्चर्य, विस्मय, हैरानी,हैरत
प्रश्न 2. प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए-
  • मेरो जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
  • भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। बड़े भाई साहब
  • वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर मिल जाता।

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरागैरा नत्थू-खैरा।

उत्तर-

  • सिर पर नंगी तलवार लटकना – किसी बात का खतरा होना
  • कार्य समय पर समाप्त न करने ऐसा लग रहा है की सिर पर नंगी तलवार लटक रही है।
  • आड़े हाथों लेना – कड़वी बाते सुनना
  • अपने पुत्र को पढ़ाई की जगह खेलते देख पिता ने उसे आड़े हाथ ले लिया।
  • अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास बड़ी चीज पा लेना
  • रमेश के बिना पढ़े ही अच्छे अंक आग गए यह तो अंधे के हाथ बटेर लगने जैसी बात हो गई।
  • लोहे के चने चबाना – असंभव कार्य करना
  • परीक्षा के लिए एक या दो दिन पड़ने पर पास होना लोहे के चने चबाने जैसा काम है।
  • दाँतों पसीना आना – कठिन परिश्रम करना
  • घर की बुन्याद को मजबूत बनाने में दाँतों पसीना आ जाता है।
  • ऐरागैरा नत्थू-खैरा – तुच्छ या सामान्य व्यक्ति
  • रानी को पसंद नहीं की कोई भी ऐरागैरा नत्थू-खैरा आकर उसका मजाक उड़ाए।
प्रश्न 3. निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10

तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ़, सूक्ति-बाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशी, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल

उत्तर-

  • तत्सम शब्द  : चेष्टा, सूक्ति-बाण, आधिपत्य, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, अवहेलना
  • तद्भव शब्द : जानलेवा, आँखफोड़, पन्ना, भाई साहब
  • देशी शब्द : घुड़कियाँ
  • आगत  शब्द : तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता,स्पेशल, स्कीमजमात, हर्फ़, मसलन, टाइम-टेबिल
प्रश्न 4. क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक
  • सकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;
  • जैसे- शीला ने सेब खाया।
  • मोहन पानी पी रहा है।
  • अकर्मक क्रिया- वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं;
  • जैसे- शीला हँसती है।
  • बच्चा रो रहा है।

नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है- सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-

उत्तर-

  • उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया।   सकर्मक
  • फिर चोरों-सी जीवन कटने लगा। सकर्मक
  • शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। सकर्मक
  • मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। सकर्मक
  • समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। सकर्मक
  • मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था। अकर्मक
प्रश्न 5.

‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-

विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार

उत्तर- वैचारिक, ऐतिहासिक, सांसारिक, दैनिक, नैतिक, प्रायोगिक, आधिकारिक

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1. प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।

उत्तर:- ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में लगभग तीन सौ कहानियाँ संकलित हैं। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित इन कहानियों में ‘अलगोझा’,  ‘ईदगाह’, ‘माँ’, ‘बेटोंवाली विधवा’, ‘शांति’, ‘नशा’, ‘स्वामिनी’,’घर जमाई’, ‘लांछन’, ‘तावान ‘ आदि है।  छात्र इन्हें पढ़े स्वयं पड़े और  मंचन करे।

प्रश्न 2. शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।

उत्तर:- शिक्षा रटंत विद्या नहीं है। वास्तव में विद्या वो होती है जिससे हमारी बुद्धि का विकास हो न की वो विद्या जो कुछ समय तक हमारे मन में रहे और फिर हम उसे भूल जाये। विद्या का कार्य होता है हमरे सोचने की शक्ति को बढ़ाना , दुनिया दरी सीखना। विद्या केवल पुस्तक तक सिमित नहीं है उसे अनुभव से भी प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3. क्या पढ़ाई और खेलकूद साथ-साथ चल सकते हैं-कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।

उत्तर:- पढ़ाई के हित में – पढ़ाई और खेल कूद साथ चलना मुश्किल है क्योकि खेल कूद विद्यार्ति का मन खींच लेता है।  धीरे धीरे फिर वह पढ़ाई में कम मन लगता है और खेल कूद में ज्यादा। जिससे उसके भविष्य पर असर पड़ता है। नए-नए खेल में विद्यार्ति की रूचि बढ़ती जाती है।

खेल-कूद के हित में – पढ़ाई के साथ-साथ  खेल-कूद भी आवश्यक है। अगर पढ़ाई हमारे मष्तिक के लिए जरुरी है तो खेल-कूद भी हमारे शरीर के लिए जरुरी है। खेल कूद हमारे शरीर को तंदरुस्त रखता है और हम पढ़ाई ओर अच्छे से मन लगा कर पढ़ सकते है। 

प्रश्न 4. क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर:- परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार बिलकुल नहीं है। केवल अंक के रूप में किसी विद्यार्थी की योग्यता को परखना सही नहीं है। असली योग्यता तो विद्यार्थी के परिश्रम से पता चलती है। जो ज्ञान उसने प्राप्त किया है उससे उसके मन पर क्या असर हुआ है यह मांयने रखता है। किस प्रकार से वह उस ज्ञान को अमल में ला रहा है। जो शिक्षा उसने प्राप्त की है क्या उससे किसीका भला हो पा रहा है। अगर उस शिक्ष से उसके मन का विकास हो पा रहा है तो ही वह वास्तविक शिक्षा है अन्यथा उसका कोई अर्थ नहीं है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1. कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता बड़े भाई-बहिनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई?

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. आपकी छोटी बहिन/छोटा भाई छात्रावास में रहती/रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।

उत्तर-

२८/२

सिरपुर धार रोड

भोपाल

26 जनवरी, 2023

प्रिय अनुज भव्य

शुभाशीष !

में यहाँ सकुशल हूँ और आशा करता हूँ की तुम भी सकुशल  होंगे।आशा है की छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और वह की सुविधाएं तुम्हरे काम आई होगी। माता जी से ज्ञात हुआ की तुम्हारी परीक्षा नजदीक आ रही है।  उसी विषय में तुम्हे कुछ सलाह देनी जो शायद तुम्हारे काम आये। पिछले माह में तुम्हारे इम्तिहान के अंक से पता चलता है की तुम्हे गणित और विज्ञानं के अध्यन्न में मुश्किल आ रही है। पहला मेरा सुझाव यह होगा की तुम अपने अध्यापक का सहारा लेकर इन्हे अच्छे से समझो और अपने मित्रो के साथ इसका अभ्यास करो। अगर यह किसी कारण वश तुम नहीं कर पाते हो तो मेरा मित्र अगले हफ्ते तुम्हारे शहर में आ रहा है।  उसके हातोह कुछ किताबे भिजवा रहा हूँ ताकि उसकी मदद से तुम अच्छे से पड़े कर सको साथ ही मेरे द्वारा बांये गए नोट्स भी भिजवा रहा हूँ। उम्मीद है की वे तुम्हे अच्छे अंक लेन में सहायक होंगे।

परीक्षा के भय से तनाव मत लेना , अंग्रेजी ,सामाजिक विज्ञानं और बाकी विषय में तुम काफी अच्छे हो।  कोशिश करना इन विषय में कम समय दो और तुम्हारे कमजोर विषय में ज्यादा ।  ऐसा करने पर तुम अवश्य अच्छे अंक सभी विषय में प्राप्त कर पाओगे। साथ में अपने स्वास्थ का भी धायण रखना।  शेष सब ठीक है।

तुम्हारा बड़ा भाई

कार्तिक

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक अपने बड़े भाई के हुक को कानून समझने में शालीनता समझता था, ऐसा क्यों ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक अपने बड़े भाई के हुक को कानून समझने में शालीनता समझता था ऐसा इसलिए क्योकि वे उनसे छोटे थे। लेखक में और उनके बड़े भाई में पांच साल का अंतर था। लेखक अपने बड़े भाई की निगरानी को उनका जंसिद्ध अधिकार समझते थे ।

प्रश्न 2. बड़े भाई महत्त्व की विधियाँ देखकर लेखक किस पहेली का हल नहीं निकाल सका और क्यों?

उत्तर:- बड़े भाई अपनी कॉपी और पुस्तक में चिड़िया, कुत्तो और बिल्ली की तस्वीर बनाते थे। कभी कभी कुछ वाकया और छाबड़ा को वे अनेक बार लिख  देते थे। कई बार तो ऐसे शब्द की रचना करते थे जिसका कोई अर्थ नहीं निकला जा सकता और उसी को लेखक पहली समझते है। वो उसका हल निकलने में असमर्थ है क्योकि बड़े भाई  से उसका मतलब पूछने की उनमे हिम्मत नहीं थी ।

प्रश्न 3. शिक्षा जैसे महत्त्वपूण मसले पर बड़े भाई साहब के विचारों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- बड़े भाई स्वाभाव से ही अध्ययनशील थे और शिक्षा को वह महत्वपूर्ण मानते थे। उच्चित शिक्षा प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना होता है। घर की बुन्याद के लिए जैसे मजबूत नीव होनी चाहिए वैसे ही जीवन के संघर्ष से लड़ने के लिए शिक्षा रूपी नीव चाहिए। शिक्षा जैसे महत्त्वपूण मसले पर बड़े भाई साहब के यही विचारों थे।

प्रश्न 4. लेखक को अपने वार्ड के रौद्र रूप के दर्शन क्यों हो जाया करते थे?

उत्तर:- लेखक अपना समय खेल कूद में बिता देते थे और पढ़ाई को समय नहीं देते थे ऐसा देख कर उनके बड़े भाई उनपर क्रोधित होते थे और उनके क्रोध के कारण की लेखक को अपने वार्ड के रौद्र रूप के दर्शन  हो जाया करते थे।

प्रश्न 5. खेल में लौटे हुए लेखक का स्वागत बड़े भाई किस तरह करते थे?

उत्तर:- खेल से जब लेखक लोट कर आते थे तब उनके बड़े भाई का एक ही प्रश्न होता ‘कहाँ थे ?’ और इसका जवाब देने की हिम्मत लेखक में नहीं थी। उनकी चुप्पी उनके अपराध का स्वीकारना बता देती थी। इस प्रकार से बड़े भाई खेल में लौटे हुए लेखक का स्वागत करते थे।

प्रश्न 6. अंग्रेजी विषय के बारे में भाई लेखक को क्या बताते थे? ऐसा कहने के पीछे भाई साहब का उद्देश्य क्या था ?

उत्तर:- अंग्रेजी विषय के बारे में भाई लेखक को यह बताते है अंग्रेजी पड़ना कोई हसीं खेल का विषय नहीं है। ऐसा होता तो कोई भी ऐरागैरा इसे पढ़कर विद्वान् बन जाता।  इस विद्या को प्रार्प्त करने के लिए घोर परिश्रम करना पड़ता है। ऐसा कहने के पीछे भाई साहब का उद्देश्य था की लेखक अपना समय खेल कूद में व्यर्थ न करे।

प्रश्न 7. ‘मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’-ऐसा कहकर भाई साहब लेखक को क्या बताना चाहते थे?

उत्तर:- लेखक के बड़े भाई तीन साल से म्हणत कर रहे है परन्तु फिर भी वे पास नहीं हो पाए। अभी भी उनका प्रयास जारी है। वे दिन रात म्हणत करते है और अन्य गति विधियों से दुरी बनाये रखते है। ‘मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते’-ऐसा कहकर भाई साहब लेखक को यही बताना चाहते है की अगर उनके परिश्रम करने पर भी सफलता नहीं मिली तो लेखक को बिना पढ़ाई के कोई सफलता नहीं मिलेगी इसलिए वे अपना समय खेल कूद में न दे और पढ़ाई में दे।

प्रश्न 8. डाँट-फटकार लगाते भाई साहब लेखक को क्या-क्या सलाह दे डालते थे? उनके ऐसे व्यवहार को आप कितना उचित समझते हैं?

उत्तर:- डाँट-फटकार लगाते भाई साहब लेखक को सलाह देते है की अगर तुम्हे इसी प्रकार खेल कूद में अपना समय व्यर्थ करना है तो तुम घर वापिस लोट जाओ और माता पिता के पैसे को व्यर्थ मत करो। उनका नियत गलत नहीं थी पर उनका यह व्यवहार उचित भी नहीं था।

प्रश्न 9. भाई साहब द्वारा लताड़े जाने के बाद लेखक जो टाइम-टेबिल बनाता, उसका वर्णन कीजिए।

उत्तर:- भाई साहब द्वारा लताड़े जाने के बाद लेखक जो टाइम-टेबिल बनाता था उसमें उन्होंने खेल को कोई स्थान नहीं दिया। प्रातःकाल उठकर पड़ने बेथ जाने का निर्णय लिया। छह से आठ तक अंग्रेज़ी, आठ से नौ तक हिसाब, नौ से साढ़े नौ तक भूगोल और स्कूल से वापिस आने के बाद चार से पांच भूगोल , पांच से छह ग्रामर ,  साढ़े छह से सात तक अंग्रेजी कम्पोजीशन फिर भोजन कर अनुवाद। नौ से दस हिंदी और दस से ग्यारह तक विविध विषय फिर विश्राम।

प्रश्न 10. लेखक अपने ही बनाए टाइम-टेबिल पर अमल क्यों नहीं कर पाता था?

उत्तर:- टाइम-टेबिल बनाना और उस पर अमल करना दो अलग बात है। लेखक अपने ही बनाए टाइम-टेबिल पर अमल नहीं कर पाए क्योकि प्रथम दिन ही उसकी अवहेलना मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती से शुरू हो गई थी और वह मैदान में चले गए और सब कुछ भूल गए।

प्रश्न 11. बड़े भाई साहब ने लेखक का घमंड दूर करने के लिए क्या उपाय अपनाया?

उत्तर:- बड़े भाई साहब ने लेखक का घमंड दूर करने के लिए कई उदहारण का प्रयोग किया। रावण भी एक शक्तिशाली राजा था और उसमे भी अहंकार आ गया था और वही अहंकार उसे ले डूबा था। शैतान के बारे में भी बताया की उसे भी भगवन के सच्चे भक्त होने का घमंड था उसी घमंड के कारन उसे नर्क में धकेल दिया गया। तुमने तो केवल एक कक्षा पार कर अव्वल आये हो ऐसे में अगर तुम्हे घमंड आएगा तो आगे कैसे पड़ोगे। इसी प्रकार से बड़े भाई साहब ने उदहारण का उपाय अपनाया।

प्रश्न 12. परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार कैसे थे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार थे की परीक्षा में केवल किताब में जो  लिखा है उससे तुलना कर उत्तर को सही या गलत ठहराया जाता  है। समय की पाबन्दी कर एक वाक्य में समझने वाली बात को चार पन्नो में लिखने का कहा जाता है। आंकड़ों को बच्चो की योग्यता से ज्यादा महत्व दिया जाता है। बुद्धि के विकास की ओर ध्यान न देते हुए विद्यार्ति के पास होने पर जोर देना। अथार्त परीक्षकों के संबंध में भाई साहब के विचार नकारात्मक थे।

प्रश्न 13. फेल होने पर भी भाई साहब किस आधार पर अपना बड़प्पन बनाए हुए थे?

उत्तर:-  फेल होने पर भी भाई साहब अपना बड़प्पन बनाए हुए थे। पहला वो अपने छोटे भाई से उम्र में पांच साल बड़े थे और अपने छोटे भाई को रास्ता दिखाना अपना कर्त्तव्य समझते थे।  दूसरा वो अनुभवी थे , बड़े होने के कारण उनका अनुभव हमेश उनके कहते भाई से ज्यादा रहेगा।

प्रश्न 14. भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का जो चित्र खींचा था उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:- भाई साहब ने अपने दरजे की पढ़ाई का जो चित्र खींचा था उसका लेखक पर यह प्रभाव पड़ा की वो भयभीत हो गए थे। उन्हें मुर्ख रहना भी मजूर था पर इतना परिश्रम करना नहीं। वह खुद को शिक्षा के काबिल नहीं समझते थे और घर लौटने का विचार कर रहे थे।

प्रश्न 15. भाई साहब भी कनकौए उड़ाना चाहते थे पर किस भावना के कारण वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे?

उत्तर:- भाई साहब भी कनकौए उड़ाना चाहते थे पर  अपने बड़े भाई का कर्तव्य भी उन्हें निभाना था और इस  भावना के कारण वे चाहकर भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे। वह अपने भाई को एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहते ताकि वह सही शिक्षा ग्रहण कर सके इसलिए वे स्वयं भी अनुशासन का पालन करते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भाई साहब के फेल होने और खुद के अव्वल आने पर लेखक के मन में क्या-क्या विचार आए?

उत्तर:- भाई साहब के फेल होने और खुद के अव्वल आने पर लेखक के मन विचार आया की वो बड़े भाई को आड़े हाथ ले। उसे खुद पर अभिमान हुआ और अपना आत्मसमान्न भी बढ़ते हुआ पाया। अब उसमे भाई साहब का डर खत्म हो चूका था। वह स्वतंत्र होकर खेल खेल रहा था। वह सोच रहा था की भाई साहब ने भी इतना परिश्रम कर क्या उखाड़ लिया जबकि लेखक ने खेल कूद करने पर भी अव्वल स्थान पर आये।

प्रश्न 2. भाई साहब भले ही फेल होकर एक कक्षा में दो-तीन साल लगाते थे पर उनकी सहज बुधि बड़ी तेज़ थी। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- भाई साहब भले ही फेल होकर एक कक्षा में दो-तीन साल लगाते थे पर उनकी सहज बुधि बड़ी तेज़ थी। खुद के फ़ैल होने और छोटे भाई के पास होने से छोटे भाई में अहंकार आ गया था। वह खेल कूद में अपना ज्यादा समय देने लगा यह सोच कर की भाई साहब अब उसे कुछ नहीं बोल सकते।  इस स्थिति कोई भाई साहब ने परख लिया था और खेलने के जब लेखक आये तो उन्होंने उसे फटकार कर समझाया। इससे यहाँ स्पष्ट है की भाई साहब की बुद्धि तेज थी।

प्रश्न 3. बड़े भाई साहब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जिन कमियों की ओर संकेत करते हुए अपने फेल होने के लिए उसे उत्तरदायी ठहराने की कोशिश की है, उससे आप कितना सहमत हैं? अपने विचार लिखिए।

उत्तर:- बड़े  भाई साहब ने तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जिन कमियों की ओर संकेत करते हुए अपने फेल होने के लिए उसे उत्तरदायी ठहराने की कोशिश की है।  जैसे परीक्षा में केवल किताब में लिखा है उससे तुलना कर उत्तर को सही या गलत ठहराया है। समय की पाबन्दी कर एक वाक्य में समझने वाली बात को चार पन्नो में लिखने का कहा जाता है। आंकड़ों को बच्चो की काबिलयता से ज्यादा महत्व दिया जाता है। बुद्धि के विकास की ओर ध्यान न देते हुए विद्यार्ति के पास होने पर जोर देना। लेखक ने समूची शिक्षा के यह तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है जिससे मै सहमत हूँ।

प्रश्न 4. इस पाठ से आपको क्या-क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर:- इस पाठ से आपको निम्नलिखित  शिक्षा मिलती है –

  • शिक्षा का अर्थ रटना नहीं बल्कि अपनी बुद्धि का विकास करना होता है।
  • घमंड करने से किसीका भला नहीं होता।
  • पुस्तकीय शिक्षा के साथ अनुभव होना भी आवश्यक है।
  • निरंतर हारने (फ़ैल) होने पर भी परिश्रम करते रहना चाहिए।
  • माता पिता की पूंजी का सदुपयोग करना चाहिए।
  • माता पिता के प्रति मन में सम्मान होना चाहिए।
प्रश्न 5. आपके अनुसार बड़े भाई फ़ैल क्यों हो रहे थे ?

उत्तर:- मेरी दृष्टी में बड़े भाई इसलिए फ़ैल हो रहे थे क्योकि परीक्षा में रटे हुए उत्तरो की जगह थी जबकि बड़े भाई शिक्षा को समझकर अपने शब्दों में लिखना पसंद करते थे। उनकी शिक्षा और उनके नियम के तार मिल नहीं रहे थे। परीक्षा उन्हें एक वाकया में समझा देने वाली बात को चार पन्नो में लिखने का कहती है। इसके साथ उन पर एक बड़े भाई होने की भी जिम्मेदारी थी। जिसे उन्होंने पुरे मन से निभाने का प्रयास किया। अपने छोटे भाई के लिए मिसाल बन सके इसलिए वे दिन रात परिश्रम करते थे। अपने पाठ का अध्ययन गहराई में जाकर करते थे। 

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