यहाँ हमने सिंधु घाटी सभ्यता नोट्स हिन्दी मे दिये है(Sindhu Ghati Sabhyata Notes in Hindi)। सिंधु घाटी सभ्यता नोट्स(Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi) आपको अध्याय को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी में सहायक होंगे।
Sindhu Ghati Sabhyata in Hindi । सिंधु घाटी सभ्यता नोट्स
सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता की 1921 में रायबहादुर दयाराम साहनी के द्वारा की गई। भारत में सिंधु घाटी सभ्यता पहली शहरी सभ्यता थी। खुदाई के अवशेषों से पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों की सोच बहुत विकसित थी। इस सभ्यता का विकास सिंधु नदी तथा उसकी सहायक नदियों के आस पास के क्षेत्र में हुआ था, इसीलिए इसे ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ कहा गया। इस सभ्यता की खुदाई सबसे पहले अभी के पाकिस्तान में स्थित ‘हड़प्पा’ नामक स्थल पर हुई थी। इसलिए इसे ‘हड़प्पा सभ्यता’ भी कहा गया।
विस्तार – सिंधु घाटी सभ्यता का का विस्तार लगभग 20 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। पूरब से पश्चिम तक का विस्तार 1600 km उत्तर से दक्षिण तक का विस्तार 1400 km है।
- सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल : आलमगीरपुर (उत्तरप्रदेश) हिंडन नदी के किनारे।
- सिंधु घाटी का सबसे पश्चिमी स्थल : सुतकांगेडोर (ब्लूचिस्तान) दास्क नदी के किनारे।
- सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरी स्थल : मांडा (कश्मीर) चिनाब नदी के किनारे।
- घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल : दैमाबाद (महाराष्ट्र) गोदावरी नदी के किनारे।
खोज एवं उत्खनन
- सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में सबसे पहले 1826 में charles Mason नामक अंग्रेज ने हड़प्पा के टीले की खोज की तथा यहां से कुछ ईट प्राप्त की।
- 1853 से 1856 में सर Alejandra kanigham के नेतृत्व में कराची से लाहौर के मध्य एक रेलवे लाइन का विकास किया जा रहा था।
- 1921 में भारतीय पुरातात्विक एवं सर्वेक्षण ͪविभाग के निर्देशन पर दयाराम साहनी की अध्यक्षता में हड़प्पा नामक स्थल की खोज की गई।
- इस समय भारतीय पुरातत्व एवम सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्सल थे।
- हड़प्पा सिंधू घाटी सभ्यता का उत्खनन किया जाने वाला प्रारंभिक स्थल है।
- हड़प्पा की खोज के बाद वर्तमान तक इस सभ्यता के लगभग 1500 स्थलों की खोज की जा चुकी है और वर्तमान भी यह क्रम जारी है।
सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल
- सभी नगर दो भागों में बांटे गई थी।
- पश्चिमी भाग को दुर्ग टीला तथा पूर्वी भाग को नगर कहा गया।
- पश्चिमी भाग में केवल पुरोहित वर्ग रहते थे तथा पूर्वी भाग में व्यापारिक वर्ग प्रशासनिक अधिकारी तथा सामान्य जनता रहती थी।
- दुर्ग छोटे आकार का तथा नगर अपेक्षाकृत बड़ा आकार का होता था।
- पश्चिमी भाग अधिक ऊंचाई पर स्थित था ताकि युद्ध या बाढ़ जैसी स्थिति में सुरक्षित रह सके।
हड़प्पा- खोज दयाराम साहनी के द्वारा 1921 में की गई।। यह स्थल पाकिस्तान के मोंटगोमरी (साहिवाल) नामक जिला में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है।
- हड़प्पा में 6-6 की दो पंक्तियों में निर्मित कुल 12 कमरों वाला एक अन्नागार मिला है।
- 18 वृताकार चबूतरे मिले हैं।
- गेहूं और जौ के दाने के साक्ष्य।
- मातृदेवी की मूर्ति।
- पत्थर से निर्मित पुजारी की मूर्ति।
मोहनजोदड़ो – मोहनजोदड़ो की खोज दयाराम साहनी के द्वारा 1922 में किया गया जिसका अर्थ मृतकों का टीला होता है। यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिला में सिंधु नदी के तट पर स्थित है।
- पशुपति कि मूर्ति।
- एक विशाल सभा भवन।
- बाढ़ आने का साक्ष्य।
- घोड़े दांत के अवशेष।
- सड़क को पक्का बनाने
- का एकमात्र साक्ष्य।
- प्रत्येक घर में कूंए तथा स्नानागार के साक्ष्य।
लोथल- लोथल की खोज 1953 में रंगनाथ राव के द्वारा किया गया। यह गुजरात के खाड़ी में भोगवा नदी के किनारे स्थित है। लोथल को लघु हड़पा या लघु मोहनजोदड़ो भी कहते है।
- पूर्वी टीले एवम पश्चिमी टीले के रूप में नगरीय विभाजन की व्यवथा नहीं की गई है।
- मानव निर्मित बंदरगाह।
- बाजरे एवम चावल के साक्ष्य।
- सतरंज का खेल।
- फारस की मुहर।
- मनका बनाने का कारखाना।
- हाथी के दांत।
- कपड़े रंगाई के साक्ष्य।
धौलवीरा – धौलविरा की खोज 1967 में जगपति जोशी के द्वारा किया गया। तथा उत्खनन का कार्य R.s. विष्ट के द्वारा 1990 में किया गया। यह गुजरात के कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र में स्थित है। मासर एवम् मनाहर नदी के मध्य स्थित है।
- धौलवीरा में पत्थर से बना हुआ जलकुंड मिला है।
- त्रिस्तरीय नगर नियोजन।
- घोड़े के कलाकृतियों के अवशेष।
- एक भव्य इमारत स्टेडियम के अवशेष।
- पत्थर पर चमकीला पॉलिश।
चहुंदड़ो- 1931 में चहुंदड़ो की खोज N.G.मजूमदार ने की थी। तथा पुनः उत्खनन मैके ने 1935 में की थी। यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के 130 km दक्षिण में स्थित है।
- मनके बनाने के कारखाने मिले है।
- लिपस्टिक तथा कंघे का साक्ष्य मिला है।
- मिट्टी में मोर की आकृति।
- किसी दुर्ग का अस्तित्व नहीं।
नगर नियोजन
- यह भारत की सबसे पहली नगरीय सभ्यता थी।
- कालीबंगा सिंधू सभ्यता की सबसे गरीब नगर माना जाता है क्योंकि यहां जल निकासी प्रणाली का अभाव था और यह घर कच्ची ईट के बने हुए थे।
- सड़के और गालियां योजना के अनुसार बनी थी। मुख्य मार्ग उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर जाते थे तथा सड़के एक दूसरे को समकोण में काटती थी।
- सड़के ढलाई बनाई जाती थी ताकि बरसात का पानी आसानी से निकल जाए।
सामाजिक व्यवस्था
- समाज मातृप्रधान था। स्त्रियों की दशा समाज में अच्छी थी।
- सिंधू सभ्यता 6 भागों में बांटे गए थे। पुरोहित, व्यापारी, अधिकारी, शिल्पी, जुलाहे, श्रमिक।
- यहां के निवासी शाकाहारी एवम मांसाहारी दोनो थे।
- आभूषणों का प्रयोग पुरुष एवम महिलाएं दोनो करते थे।
- मनोरंजन के लिए सिंधु सभ्यता में पासे का खेल , नृत्य, शिकार, पशुओं की लड़ाई आदि।
- दशमलव प्रणाली से परिचय था।
धार्मिक जीवन
- इस सभ्यता का सबसे पूज्यनीय पशु एक सिंगी बैल या कुबड़वाला सांड था।
- पूज्यनिय वृक्ष पीपल था।
- प्रकृति को उर्वरा की देवी कहा जाता था।
आर्थिक जीवन
- अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था। मुख्य फसल गेहूं और जौ थे।
- सर्वप्रथम कपास उत्पादन का साक्ष्य सिंधु सभ्यता के लोगो द्वारा ही मिला है।
- सिंधु सभ्यता में विभिन्न देशों के साथ व्यापार किया जाता था।
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